हिंदी सिनेमा के इतिहास के दिग्गज अभिनेता,नायक और खलनायक प्राण का जन्मदिन 12 फरवरी को हुआ था और निधन 11 जुलाई 2013 को हुआ था, उनकी गिनती बॉलीवुड के ऐसे कलाकारों में होती हैं जिन्होंने हिंदी सिनेमा में अपना लोहा अपनी कलाकारी के दम पर मनवाया था।
उन्होंने सिनेमा में लंबे समय तक अभिनय किया,इस दौरान प्राण ने कई शानदार कलाकारों के साथ काम किया, साथ ही अपने अलग-अलग किरदार से पर्दे पर खास छाप छोड़ी आज भी उनके निभाये हुए किरदारों को याद किया जा सकता है।
प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली के बल्लीमारान के एक खानदानी रईस परिवार में हुआ था।पेशे से सिविल इंजीनियर प्राण के पिता लाला केवल कृष्ण सिकंद ब्रिटिश हुकुमत के दौरान सरकारी निर्माण का ठेका लिया करते थे। केवल कृष्ण सरकारी इमारतों, सड़कों और पुल निर्माण में महारत रखते थे।
जहां भी सरकार को इस तरह का काम कराना होता था तो अमूमन ठेके कृष्ण सिकंद को ही दिए जाते थे। इस परिवार की प्रतिष्ठा सिर्फ बल्लीमारान की गलियों तक नहीं थी बल्कि पूरी दिल्ली उन्हें जानती थी। वह आर्थिक रूप से संपन्न थे।
प्राण के गज़ब के किस्से..
वह एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने बतौर विलेन भी उतनी ही लोकप्रियता हासिल की जितने वह एक हीरो के तौर दर्शकों के बीच पसंद किए गए. प्राण के जन्मदिन पर चलिए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
मधुमति, जिस देस में गंगा बहती है, उपकार, शहीद, पूरब और पश्चिम, आंसू बन गए फूल,जॉनी मेरा नाम, जंजीर, डॉन, अमर अकबर एंथनी और दुनिया जैसी तमाम हिट फिल्मों का हिस्सा रहे हैं।
प्राण का पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद था और उनके पिता एक सरकारी सिविल इंजीनियर थे. प्राण एक संपन्न परिवार में पले बढ़े लेकिन पढ़ाई में उनका खास मन नहीं लगता था।
रामपुर से उन्होंने मैट्रिक पास किया और फिर फोटोग्राफर बनने के लिए अप्रेंटिस की. इसके बाद वह शिमला चले गए जहां वह रामलीला में सीता का किरदार किया करते थे. इसी प्ले में मदन पुरी में राम का किरदार निभाया था।
हालांकि सबसे मशहूर किस्सा है प्राण को उनकी पहली फिल्म मिलने के बारे में. कहा जाता है कि सिर्फ एक सिगरेट ने प्राण की तकदीर बदल दी थी।
लौटाया फिल्मफेयर अवॉर्ड..
फिल्मों में खलनायक बन लोगों के दिलों में खास जगह बनाने वाले प्राण का जादू भी इंडस्ट्री पर खूब चल रहा था। साल 1972 में फिल्म बेइमान के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग रोल के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाज़ा गया।
लेकिन यह पुरस्कार प्राण ने लौटा दिया, दरअसल, उस समय कमाल अमरोही की फिल्म पाकीजा रिलीज़ हुई थी और उसे कोई भी पुरस्कार नहीं मिला था। ऐसे में प्राण का मानना था कि ‘पाकीजा’ को अवॉर्ड न देकर फ़िल्मफेयर ने अवार्ड देने में चूक हो हुई है।
प्राण साहब का निधन.
12 जुलाई यानी 8 साल पहले आज ही के दिन 2013 में प्राण साहब ने दुनिया को अलविदा कह दिया। वह अपनी ढेर सारी यादें छोड़कर दुनिया को अलविदा कह गए। लेकिन आज भी उनके किरदार लोगों की यादों में जिंदा हैं।