केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक पर कल लोकसभा में बिल पेश किया गया. इस पर बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने बिल में बहुत सी खामियां गिनाते हुए सरकार से सवाल किये.
सुष्मिता ने कहा कि विधेयक त्रुटिपूर्ण है और त्रुटियों का जिक्र करते हुए कहा कि, इसमें तीन साल की जेल का प्रावधान है, साथ ही महिला को पति से भरण पोषण के लिए अधिकार दिया गया है. सुष्मिता देव ने सवाल किया कि कैसे एक जेल में बंद पति गुजारा-भत्ता की राशि मुहैया कराएगा?
उन्होंने सरकार से इस तरह की महिलाओं को सहायता देने के लिए एक राहत कोष बनाने की मांग की.
आगे बोलते हुए उन्होंने सवाल किया कि “आप वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध करार दिए जाने के लिए तैयार नहीं है. तो क्या यह विधेयक मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ दुरुपयोग की संभावनाएं नहीं पैदा करता?”
सुष्मिता ने आगे कहा कि, “महिला समानता एक विचार नहीं है, बल्कि अधिकार है. पूरा देश महिला आरक्षण विधेयक का इंतजार कर रहा है, ऐसा इसलिए नहीं कि हमें आरक्षण की जरूरत है, बल्कि सदन में अगर ज्यादा महिलाएं होतीं तो इस तरह का विधेयक जिसमें बहुत सी खामियां है, पारित नहीं होता.”
सुष्मिता ने कहा, “जितनी तेजी से यह तलाक दिया जाता है, उसी तेजी से महिलाओं को राहत देने के लिए सरकार विधेयक लाना चाहती है.” और कहा कि जब मामला तीन तलाक का है, तो फिर सुलह-सफाई की गुंजाइश ही कहां रह जाती है.