जैसे कि आप सभी जानते है की रतन टाटा एक बड़ा नाम है जो भारत और कई देशों के उद्योगपतियों में आता है टाटा भारत की अर्थव्यवस्था को चला रहे हैं। उन्होंने एक डिजिटल ऐप लॉन्च किया है जिसके डिजिटली तो कई फायदे हैं लेकिन कहीं ना कहीं जो फार्मेसिस्ट है उनको बहुत बड़ा नुकसान है और साथ ही कुछ मरीजों को भी उन से नुकसान है क्योंकि जो ऑनलाइन दवाइयां आती है वे कभी कभी नकली भी रहती हैं और एक्सपायरी या आउटडेटेड रहती हैं। जिसकी वजह से लोगों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
अब आप बताइए क्या टाटा डिजिटल इंडिया बनाकर अच्छा कर रहे हैं या फिर दूसरी तरफ़ उन दवा विक्रेताओं का इससे नुकसान है जो अपनी दुकान से दवाइयां बेचते हैं और यही उनका भरण पोषण का साधन है। जबसे लोगों का रोजगार छीनता टाटा का 1 mg aapऐप आया तब से दवा विक्रेताओं को नुकसान झेलना पड़ रहा है और उनका रोजगार भी छिन रहा है।
सुधीर अग्रवाल( जनरल सेक्रेटरी ओसीडी, यूपी) के अनुसार 30 लाख लोगों का रोजगार छिन चुका है। उन्होंने बताया कि हम लोगों ने रतन टाटा को एक पत्र लिखा था कि जिस दिन ऑनलाइन कंपनी 1mg ऐप को खरीदा तब उन लोगों को धक्का सा लगा था और अभी तक इसकी कोई सुनवाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा एक टाइम था जब 1mg एक छोटे से एप्प के रूप में आया था बहुत छोटी पूंजी का आदमी से उसे चला रहा था । इसको 600 कुछ करोड़ में टाटा ने खरीदा है और उनका कहना है कि कानूनी तौर पर यह जुर्म है ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट में कोई भी प्रोविजन ऐसा नहीं है कि आप दवाएं ऑनलाइन आर्डर करें एक्ट में ये प्रोविजन है की दवाएं कॉस्मेटिक्स की देखरेख में ही बिकेगी।
टाटा 1mg एप की वजह से लोगों को कई नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, पहला उन दवा विक्रेताओं को नुकसान हुआ है जो बाजार में जाकर दिन रात मेहनत करते हैं जब से टाटा 1mg एप आया है तब से लेकर अब तक 30 लाख लोग बेरोजगार हो चुके हैं बेरोजगार होने के कारण दवा विक्रेता अपने परिवार का भरण पोषण करने में संभव नहीं है ऑनलाइन दवा छोटे छोटे कारोबारियों को खत्म कर रहा है अगर सब ऑनलाइन दवा लेने लगे तो बाजार में कौन जाएगा?
दूसरा नुकसान यह है कि जो दवा हम ऑनलाइन खरीद रहे हैं क्या वह किफायती हैं? क्या हमें मालूम है कि कितनी मात्रा में हमें दवा का सेवन करना चाहिए? शायद इसका उत्तर ना में होगा जो दवा हम बाजारों से खरीदते हैं दवा विक्रेता हमें उतनी ही दवा देते हैं जितनी कि हमारे शरीर को आवश्यकता हो और हम उस दवा के आदि ना हो जाए लेकिन ऑनलाइन दवा से हमें यह सुविधा कभी नहीं मिल सकती है और हम अपने शरीर को कहीं ना कहीं हानि पहुंचाते हैं।
लोकल केमिस्ट को खत्म करने के लिए कई कंपनियां पैसों की ताक़त के दम पर दस्तक दे चुकी हैं। जैसे कि आपको बता दें फ्लिपकार्ट ने सस्तासुंदर डॉट कॉम को लॉन्च किया है और इसके साथ साथ अपोलो मेडप्लस जैसी कंपनियां भी इस लाइन में पहुंच चुकी है और सिर्फ इतना ही नहीं, इस दौड़ में ऐमेज़ॉन भी शामिल होने वाला है। हमें सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि यह हमारे और हमारे परिवार की भविष्य का सवाल है।