गज़ल – मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए
मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए मुहब्बतों से भरी कश्तियाँ डुबाते हुए गुज़र गई है फकत सीढियाँ बनाते हुए कराबतों से भरी क्यारियाँ सजाते हुए...
मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए मुहब्बतों से भरी कश्तियाँ डुबाते हुए गुज़र गई है फकत सीढियाँ बनाते हुए कराबतों से भरी क्यारियाँ सजाते हुए...
उत्तर प्रदेश पुराने समय से ही कवियों, लेखकों का गढ़ रहा है. तुलसीदास, सूरदास सरीखे कई कवियों ने हिंदी भाषा को समृद्ध और परिपूर्ण किया है.ग़ालिब,मीर...