मौत के वक्त लिटरेचर के नोबल के लिए नामित हो चुके थे “फ़ैज़”
“वो लोग बहुत खुशकिस्मत थे, जो इश्क को काम समझते थे या काम से आशिकी करते थे, हम जीते जी मसरूफ रहे” एक फौजी अफसर, एक...
“वो लोग बहुत खुशकिस्मत थे, जो इश्क को काम समझते थे या काम से आशिकी करते थे, हम जीते जी मसरूफ रहे” एक फौजी अफसर, एक...
पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश, एक ही वतन और एक ही बदन के दो हिस्से थे, अब तीन हैं। 1947 का बंटवारा, एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक भूल,...
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की अमर नज़्म ‘ हम देखेंगे ‘, उनके द्वारा जेल में लिखी गयी थी। पाकिस्तान में ज़ियाउलहक़ की तानाशाही के खिलाफ यह फ़ैज़...