ashfaq khan

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गज़ल – मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए

  • November 2, 2019

मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए मुहब्बतों से भरी कश्तियाँ डुबाते हुए गुज़र गई है फकत सीढियाँ बनाते हुए कराबतों से भरी क्यारियाँ सजाते हुए...

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ग़ज़ल- मुसव्विर हूं सभी तस्वीर में मैं रंग भरता हूं

  • October 12, 2017

हमेशा ज़िन्दगानी में मेरी ऐसा क्यूं नहीं होता जमाने की निगाहों में मैं अच्छा क्यूं नहीं होता उसूलों से मैं सौदा कर के खुद से पूछ...