ये तस्वीर जो आप देख रहे हैं वो पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गाँव की रहने वाली स्वपना बर्मन की है, स्वपना बर्मन ने हाल ही एशियाई खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतकर पूरे देश को गौवान्वित किया है।
स्वपना के परिवार नेब सात भाई बहन हैं। स्वप्न का जीवन संघर्षों से भरा पड़ा है, और उनके संघर्ष अभी ख़त्म नहीं हुए हैं। उनकी माँ खेतों में काम करती हैं। खुद स्वप्ना धान के खेतों और चाय के बगानों में काम करती हैं। वहीं उनके पिता पंचानन बर्मन रिक्शा चलाते थे। 2013 में दिल के दौरे के चलते वह बिस्तर पकड़ गए और परिवार के सामने गुजर-बसर की चिंता खड़ी हो गई।
एक तो स्वपना के दोनों पैरों में छह-छह अंगुलियां होने के कारण सामान्य से ज्यादा चौड़े पंजों के लिए खास किस्म के जूते खरीद पाना बेहद मुश्किल काम था, वहीं खाने की अहम जरूरत भी पूरी होना भी अपने आप में युद्ध लड़ना जैसा है। बावजूद इन समस्याओं और कठिनाईयों के स्वपना ने खेल की तरफ अपनी रुचि को कम नहीं होने दिया। वह अपने इनाम के पैसों को घर चलाने में खर्च कर देती है।
आज इस बेटी ने ना सिर्फ अपने परिवार को कामयाबी की इबारत दिखाई बल्कि पूरे हिन्दुस्तान की बेटियों को बताया है कि लगन ही सब है, लगन कामयाबी का बेहतरीन रास्ता है। इस कमाल बेटी की शानदार जज़्बे को सलाम! सलाम! सलाम!