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संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार से कहा, हिंसा बंद करिए

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संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने म्यांमार सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए उससे रखाइन प्रांत में सैन्य अभियान बंद करने को कहा है. इतना ही नहीं बल्कि वहां से भगाए गए रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है. चीन द्वारा समर्थित एक सर्वसम्मत बयान में सुरक्षा परिषद ने म्यांमार आर्मी के द्वारा रोहिंग्या समुदाय के विरुद्ध की गई उस हिंसा की कड़ी निंदा की जिसके कारण 6,00,000 से अधिक रोहिंग्या मुसलमान सीमा-पार कर बांग्लादेश जाने को मजबूर हो गए.
करीब एक दशक में ऐसा तीसरी बार हुआ है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने म्यांमार पर अपने अध्यक्ष के बयान को स्वीकृति दी है. सैन्य कार्रवाई में सैकड़ों लोग मारे गये और गांवों में आग लगाने और रोहिंग्या लोगों को वहां से बेदखल करने के आरोप भी बड़े पैमाने पर लगाये गये. म्यांमार के अधिकारियों का कहना है कि सैन्य कार्रवाई का लक्ष्य रोहिंग्या उग्रवादियों को खदेड़ना है. साथ ही उन्होंने लगातार आम नागरिकों को निशाना बनाने के आरोपों को खारिज किया है. पीड़ितों, चश्मदीदों और शरणार्थियों ने इस बात का विरोध किया है.
सुरक्षा परिषद अध्यक्ष इटली के सेबेस्टियानो कार्डी ने बयान को पढ़ा. बयान में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों को जिम्मेदार ठहराने को कहा गया है. साथ ही यूएन, उसके भागीदारों और स्वयंसेवी संगठनों के सहयोग से हिंसा के चलते भागे लोगों को आश्रय और मानवीय सहायता देने के लिए बांग्लादेश की प्रशंसा की गई. बौद्ध बहुल म्यांमार में सुरक्षा बलों के कथित अत्याचार से करीब छह लाख लोग पड़ोसी देश बांग्लादेश भाग गए हैं. इनमें अधिकतर रोहिंग्या मुसलमान हैं. संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के उप राजदूत जोनाथन एलेन ने कहा, मानवीय स्थिति निराशाजनक है. उन्होंने कहा, हम म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को इस दिशा में कदम उठाता देखने के लिए उत्साहित हैं.
संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार पर दबाव बनाते हुए वहां की सरकार को चेताया है कि अब रखाइन प्रांत में सेना का गलत तरीके से अत्यधिक इस्तेमाल न किया जाए. जारी बयान में कहा गया है कि म्यांमार अपने देश में शांति व्यवस्था को बनाए रखे.