देश में हर साल या 6 महीनों बाद कहीं न कहीं चुनाव होते ही हैं। एक पार्टी वहां जीत जाती है बाकी हार जाती है। लेकिन हर बार सिर्फ गिनती इस बात की नहीं होती है कि कौन हारा है या कौन जीता है। बल्कि ये भी इतिहास में दर्ज होता है कि कौन किस तरह से चुनाव लड़ा था। बीते 8 सालों के राजनीतिक इतिहास में देश की राजनीति को बदलने वाला दौर रहा है जब भाजपा ने अपने विरोधियों के दांत खट्टे करके रख दिये हैं।
कोई सा भी राज्य हो,कैसा भी चुनाव हो चाहे लोकसभा का चुनाव हो या फिर मामूली सा पंचायत चुनाव हो,भाजपा वहां बहादुरी से लड़ती हुई नज़र आई है। आज हम आने वाले 2022 के यूपी चुनावों में भाजपा के रणनीति और उससे उनके विरोधी दलों को क्या सबक लेना चाहिए। इस विषय पर बात करेंगें।
क्या क्या प्लान है यूपी के लिए भाजपा का?
राजनीतिक विश्लेषक और लेखिका स्वाति परिहार ने एक बार भाजपा के मुद्दे पर बहुत सधी हुई टिप्पणी की थी जो इस स्थिति पर फिट बैठती है। उन्होंने कहा था “भाजपा सोशल मीडिया से बनी पार्टी है,फर्श से अर्श तक अगर वो पहुँच पाई है तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजहों में एक सोशल मीडिया और मीडिया मैनेजमेंट हैं”
आगे वो कहती हैं कि “अब जब उसका मुकाबला सपा या कांग्रेस से होता है तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हट कर चलने वाली पार्टियां हैं तो भाजपा के सामने वो कमज़ोर नज़र आती हैं। लेकिन जब मुक़ाबला “आप” से होता है तो भाजपा इस मामले में उससे पीछे रह जाती है और उसे हारना पड़ता है। इस फ़र्क़ को समझा जाना चाहिए”
आइये हम यूपी के लिए भाजपा की तीन बड़ी रणनीतियों पर चर्चा करते हैं।
1- टिकट के लिए मेहनत करनी होगी।
हाल ही में कुछ खबरें सामने आई थी जिसमे ये कहा गया था भाजपा कई मौजूदा विधायकों के टिकट काटने वाली है। वहीं जिन्हें टिकट चाहिए उन प्रत्याशियों को कड़ी परीक्षा से गुज़र होगा। ये परीक्षा भी तीन चरणों मे होने वाली है। जिसमें अपनी महत्वता और उम्मीदवार को क्यों टिकट क्यों मिलना चाहिए इस पर मोहर लगेगी।
इसमें गौर करने वाली बात ये है कि अभी क़रीबन 7 से 8 महीनों का समय चुनावों में बाकी है। लेकिन भाजपा ने बूथ लेवल से लेकर हाई लेवल तक तैयारियां शुरु कर दी हैं। लेकिन इसमें भी क्या हैरानी जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूरे 1 सालपहले से ही दिल्ली में 2022 में होने वाले एमसीडी के चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी थी।
2- मुस्लिम वोटों को कैसे लिया जाए
बिल्कुल भी हैरानी से मत देखिये, ये भाजपा ही कि रणनीति है जो यूपी की हर एक सीट पर कम से कम 5000 मुस्लिम वोट अपने प्रत्याशी को दिलाना चाहती है । जिससे सपा,बसपा और कांग्रेस को नुक़सान होगा और उन्हें मज़बूती मिलेगी। ये सब कुछ अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख नेता “जमाल सिद्दीकी” की ज़िम्मेदारी में है और वो इस रणनीति पर ज़ोरो शोरों से काम भी कर रहे हैं।
3- कलश यात्रा,जो अखिलेश के लिए खतरा है
हाल ही में भाजपा के दिग्गज नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल रहें कल्याण सिंह का निधन हो गया था। कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को कलश में रखते हुए भाजपा प्रदेश भर में यात्रा निकालेगी। इसमें भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि भी दी जायेगी ।
इसमें एक और बात गौर करने वाली है. वो ये है कि मुलायम सिंह और अखिलेश यादव दोनों ही नेता पुर्व सीएम के निधन में श्रद्धांजलि देने के लिए शामिल नही हुए थे। भाजपा अब इसे मुद्दा बनाने वाली है। वो अखिलेश यादव के खिलाफ जम कर प्रचार करेगी और लोगों तक इस बात को भी पहुंचायेगी।
आखिर में..
अब गौर करने की बात ये है कि भाजपा सत्ता में है. लेकिन उसकी मेहनत में कोई कमी नहीं है । ज़मीन से लेकर सदन तक विपक्ष के लौट लगातार हमलावर भाजपा को चाहे कितना माहौल निगेटिव नज़र आये लेकिन वो अपनी तरह से कोई कमी नहीं छोड़ सकते हैं। यही मेहनत और लगन सपा और कांग्रेस को सीखनी चाहिए। जिससे वो कोसो दूर हैं।