लंबे विरोध के बाद तीनों विवादित कृषि कानूनों को संसद में पारित कर वापस ले लिए गया। संसद के दोनों सदनों में ध्वनिमत के माध्यम से वोटिंग कराई गई। हालांकि इस बीच विपक्ष कुछ मांगो के साथ संसद में चल रही प्रक्रिया का विरोध करता दिखा।
सोमवार 29 नवंबर संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हुई, इसी दिन संसद के दोनों सदनों में कृषि कानूनों को रिपील करने की प्रक्रिया पूरी की गई। लोकसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर (narendra singh tomar) ने बिल पेश किए और कानूनों को निरस्त करने की बात कही।
इस बीच संसद के दोनों सदनों ( loksabha and rajyasabha) में विपक्ष की तरफ़ से लगातार बिल पर चर्चा करने की मांग की गई। लोकसभा में कोंग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी (adheer ranjan choudhary) ने कहा, “2014 से लेकर आज तक संसद में कुल 6 बिल रिपील किये जा चुके है। सभी बिलों को रिपील करने के दौरान संसद में चर्चा की गई थी, तो अब चर्चा क्यों नहीं कि जा रही ?
मालूम हो कि, कृषि मंत्री ने इन बात का जवाब देते हुए कहा, “कोंग्रेस हमेशा से बिल वापस लेने की बात कहती रही है, तो बिल पर चर्चा करने के लिए कुछ नहीं बचता” दूसरी और स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष के हंगामे पर कहा, की आप हंगामा मत कीजिये संसद की व्यवस्था बनाए रखिये, चर्चा कराना मेरा काम है।
वहीं राज्यसभा में भी बिना चर्चा के बिल पास हो गया। कोंग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे (mallikarjun khadge) ने इस पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा, कई राज्यों के उपचुनावों में तगड़ी हार के बाद सरकार को समझ आया है, कि ये तीनों विवादित कानून पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में खासा प्रभाव रखते हैं। अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए इन कानूनों को वापस लिया गया है।
चर्चा नहीं होने दी-
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 29, 2021
MSP पर
शहीद अन्नदाता के लिए न्याय पर
लखीमपुर मामले में केंद्रीय मंत्री की बर्ख़ास्तगी पर…
जो छीने संसद से चर्चा का अधिकार,
फ़ेल है, डरपोक है वो सरकार।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, संसद में बिल वापस लेने की प्रक्रिया के दौरान कोंग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी संसद परिसर में अपना विरोध दर्ज कर रहे थे। गांधी प्रतिमा के सामने सोनिया गांधी और राहुल गांधी प्रदर्शन में शामिल थे। प्रदर्शन में “निकम्मी सरकार हाय हाय” और MSP लागू करो जैसे नारे लगाए गए।
NDTV की रिपोर्ट कहती है कि कोंग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर MSP और MSP पर ठोस कानून को लेकर दवाब बनाए रखना चाहती। वहीं कोंग्रेस की तरफ़ से पहले ही साफ कर दिया गया है कि विपक्ष को सरकार पर भरोसा नहीं है। इस बीच कोंग्रेस ने सभी विपक्षी दलों को साथ मे आने की हिदायत दी है। हालांकि, इस विरोध में विपक्ष के तौर पर सिर्फ कोंग्रेस पार्टी ही मौजूद थी।
विरोध के एक साल में क्या क्या हुआ :
– जून 2020 में सदन के दोनों सदनों से कृषि कानूनों को पास कराया गया और कानून बना दिये गए। इससे पहले अध्यादेश के माध्यम से इन्हें लागू किया गया था।
– सितंबर 2020 में दिल्ली के बॉर्डर पर देश भर के किसानों ने इन विवादित कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन शुरू किया था।
– 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में किसानों के द्वारा ट्रेक्टर रैली निकाली गई, हालांकि रैली के दौरान दबंगई देखने को मिली। लाल किले से तिरंगा उतार कर वहां केसरी झंडा फहराया गया।
– इस बीच किसान नेताओं और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर और अन्य केंद्रीय मंत्रियों के बीच कई दौर की बात चीत हुई। जो किसी नतीज़े तक नहीं पहुंची।
– किसान आंदोलन में 700 से ज़्यादा किसानों की हत्या हुई।
– अक्टूबर 2021 में यूपी के लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचल दिया गया। ये उस दौरान हुआ जब उप मुख्यमंत्री केश्वप्रसाद मौर्या की रैली का विरोध करने किसान लखीमपुर खीरी पहुंचे थे। किसानों ने यहां नेताओं को काले झंडे दिखाए थे।
अब किसानों की क्या मांग हैं…
तीनों विवादित कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की घोषणा के बाद से ही MSP यानी minimum sporting price के लेकर एक ठोस कानून की मांग तेज़ हो गयी। किसानों और किसान नेताओं जिनमे प्रमुख तौर पर राकेश टिकैत किसानों के लिए MSP पर कानून की मांग कर रहे हैं।
NDTV से बातचीत में किसान नेता rakesh tikeit ने कहा है, की MSP के माध्यम से किसानों की उनकी फसल का सही दाम मिलेगा, इससे फसलों की लूट कम होगी। इस पर अधिकतर विपक्षी दल और नेता अपनी सहमति दर्ज करा रहे है। इनमें प्रमुख तौर से rahul gandhi, soniya gandhi, priyanka gandhi, akhilesh yadav और mayavati शामिल हैं।
संशोधित हुए कानून क्या थे :
केंद्र सरकार में तीन कानूनों में संशोधन किए थे….
पहला कानून था कृषक उपज और वाणिज्य कानून ( Farmer’s Produce and Commerce Act )2020। इसे लेकर सरकार का कहना था की, यह कानून किसानों को अधिकार देता है कि वह अपनी फ़सल न केवल राज्य की APMC में बेच सकते हैं बल्कि मंडियों से बाहर जाकर अपनी फसलों को अपनी शर्तों पर बेच सकते हैं।
दूसरा बिल था कृषक कीमत आश्वाशन और कृषि सेवा पर करार कानून ( Agreement on Farmer Price Assurance and Agricultural Services )2020। इसके तहत किसानों और छोटे- बड़े उद्योगपति का निजी कंपनियों के बीच कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग की बात कही गयी थी।
वहीं तीसरा बिल था, आवयश्क वस्तु (संशोधन) कानून (Essential Commodities (Amendment) Act )2020। इसे एआम बोलचाल में भंडारण का कानून भी कहा जाता है। इसके तहत किसान या कोल्ड स्टोरेज जितना चाहे उतना भंडारण कर सकते है लेकिन सिर्फ उस अनाज का जिसे आवयश्क वस्तुओं की सूची में न रखा गया हो।