नज़रिया – सिसोदिया की गिरफ़्तारी, क्या बदलेगी विपक्षी एकता की सूरत

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दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तारी से उनकी पार्टी ‘ आप’ का हलेकान होना स्वाभाविक है, लेकिन इसे मौजूदा दौर में लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत माना जाना चाहिए कि घोटाले करने पर नेता पकडे जाते हैं भले ही कारोबारी छुट्टा घूमते रहते हों। इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता बिना कोई घोटाला किये गिरफ्तार किये जा चुके हैं ।

भारत कृषि प्रधान देश था ,लेकिन बाद में घोटाला प्रधान देश बन गया। कांग्रेस के जमाने में जमकर घोटाले हुए, बाद में भाजपा की सरकारों ने घोटालों के नए कीर्तिमान बनाये। अब इस फेहरिस्त में यदि ‘आप’ का नाम जुड़ता है तो किसी को हैरान होने की जरूरत नहीं है। मनीष सिसोदिया अगर निर्दोष होंगे तो अदालत उन्हें भीतर रहने नहीं देगी और दोषी होंगे तो भाजपा उन्हें बाहर आने नहीं देगी। आप सवाल कर सकते हैं कि यदि ‘ आप ‘ भाजपा की ‘ बी ‘ टीम है तो फिर सिसोदिया के खिलाफ ये कार्रवाई कैसे हो सकती है ? तो जबाब बहुत आसान है की अब ये ‘ बी ‘ टीम ‘ ए ‘ टीम बनने की कोशिश कर रही है, इसलिए उसे उसके पायजामें में रखना भाजपा की विवशता है।

देश पर साढ़े आठ साल राज करने के बाद भाजपा मजबूत पार्टी बनने के बजाय एक बेबस पार्टी बन गयी है। भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए न सिर्फ अपने सहयोगी दलों से किनारा करना पड़ा बल्कि अपने शुभचिंतक दलों के भी पर कतरना पड़ रहे हैं। ‘ आप ‘ ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पिछले कुछ वर्षों में अच्छा प्रदर्शन किया है। ‘आप ‘ दूसरे राजनीतिक दलों की तरह केवल अपने जन्मस्थल पर ही सीमित कर नहीं रही बल्कि उसने पंजाब जैसे राज्य में अपनी सरकार भी बनाई .’ आप ” की तरह सपा,बसपा,जेडीयू ,तृमूकां जैसे तमाम दल ये करिश्मा नहीं कर पाए .भाजपा के लिए इसी वजह से ‘ आप ‘ खतरे की घंटी लगने लगी है।

दिल्ली के कथित शराब घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है. इस मामले में आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया है कि मनीष सिसोदिया की तरफ से जांच में पूरा सहयोग किया जा रहा था लेकिन सीबीआई की तरफ से कहा गया है कि मनीष सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे, इस कारण उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा। आपको याद होगा कि मार्च 2021 में मनीष सिसोदिया ने नई आबकारी नीति का एलान किया था। दिल्ली सरकार की शराब नीति के मुताबिक़ शराब बस निजी क्षेत्र में बेची जा सकती है। शराब बेचने के लिए न्यूनतम 500 वर्ग फ़ुट क्षेत्र में खुलेगी, दुकान होना चाहिए। दुकान का कोई भी काउंटर सड़क पर नहीं बनाया जाएगादिल्ली में कुल दुकाने 850 थीं, उन्हें बढ़ाया नहीं गया।

दिल्ली सरकार को नई नीति से राजस्व 1500-2000 करोड़ रु बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन भाजपा को इस नीति में खोट नजर आयी। मनीष सिसोदिया पर आरोप लगे कि उन्होंने जो शराब नीति बनाई उसमें थोक लाइसेंस धारकों का कमीशन बढ़ाकर 12 फीसदी फ़िक्स किया बड़ी कंपनियों का एकाधिकार बढ़ाया, केंद्र के एजेंट लेफ्टिनेंट गवर्नर ने इस मामले में मुख्य सचिव से जांच कराई और बाद में मामला सीबीईआई को सौंप दिया .जाहिर है सब भाजपा सरकार के इशारे पर हुआ .

दुनिया जानती है कि इस देश में राज्यों की सरकारें शराब के पैसे से ही चलती हैं। भाजपा शासित मध्य प्रदेश में ही सरकार शराब से जितना राजस्व कमाती है वो दिल्ली के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। भाजपा शासित राज्यों में भी शराब नीति शराब कारोबारियों के हिसाब से बनाई जाती है। इस बार उमा भारती के हिसाब से बनाई गयी है। घोटाले यहां भी होते हैं लेकिन उनकी न शिकायत होती है और न जांच .जिनकी जांच होती है उनमें किसी की गिरफ्तारी नहीं होती। फिर भाजपा को जिसे निबटना होता है वो निबट ही जाता है। जैसे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक विनम्र और लोकप्रिय मंत्री रहे लक्ष्मीकान्त शर्मा को निबटाया गया था। वे भी एक भर्ती घोटाले में जेल भेजे गए थे और मुकदमे का फैसला होने से पहले ही चल बसे थे।

बहरहाल बात दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की है, अब क्या भाजपा को इस गिरफ्तारी से कोई लाभ होगा या उसके खिलाफ देश में एक नया वातावरण बनेगा। अब देश में ऐसा कोई राजनीतिक दल नहीं बचा है जिसने भाजपा के हाथों कोई न कोई जख्म न पाया हो। सब तिलमिलाए हुए हैं, सब भाजपा से हिसाब बराबर करना चाहते हैं,किन्तु कर नहीं पा रहे क्योंकि सब बिखरे-बिखरे हुए हैं .इसी बिखराव की वजह से भाजपा एक-एक कर सबका शिकार कर रही है.’ आप ‘ के लिए सिसोदिया की गिरफ्तारी का दिन काला दिन बन गया है। आप अब देशभर में भाजपा के खिलाफ आंदोलन खड़ा करना चाहेगी. करेगी भी , ऐसा स्वाभाविक भी है, लेकिन क्या अकेले आप ,भाजपा का मुकाबला कर सकेगी ?

मुझे लगता है कि इस बुरे वक्त में ‘आप ‘ को चाहे अनचाहे कांग्रेस की शरण में जाना पडेगा। उस कांग्रेस की शरण में जिसे ‘आप ‘ लगातार धोखा देती आ रही है। ‘आप’ की वजह से भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की लड़ाई हल्की और निष्प्रभावी हो जाती है । जब-जब कांग्रेस भाजपा पर भारी पड़ती दिखाई देती है ,तब-तब ‘आप ‘ भाजपा के लिए परदे के पीछे से सहायक की भूमिका में खड़ी होती आयी है। अब जब भाजपा ही ‘आप ‘ को ‘ ब्लैकमेल करने पर आमादा है तब ‘ आप ‘ की मजबूरी है कि वो विपक्षी एकता के लिए अपने आपको प्रस्तुत करे ।

पिछले दिनों रायपुर में कांग्रेस ने भाजपा के अच्छे दिनों के नारे के जबाब में ‘ लोकतंत्र और स्वतंत्रता के नवीनीकरण’ का नारा दिया है। ये नारा उन सभी विपक्षी दलों के लिए जरूरी है जो भाजपा से मार खा चुके हैं और लोकतंत्र तथा आजादी बचने के नाम पर भाजपा से लड़ना चाहते हैं .कांग्रस के साथ आये बिना किसी भी गैर कांग्रेसी दल के लिए ये लड़ाई लड़ना असम्भव है। सबने अकेले -अकेले भाजपा से लड़ कर देख लिया .बसपा को भाजपा के सामने समर्पण करना पड़ा. जेडीयू,अकालीदल को भाजपा से रिश्ते समाप्त करना पड़े .और अब बारी ‘ आप’ की है।

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री शराब घोटाले में दोषी हैं या नहीं ,ये कहने का अभी वक्त नहीं है। वे यदि दूध के धुले होंगे तो आज नहीं तो कल जेल के बाहर आ ही जायेंगे। और यदि नहीं होंगे तो कुछ दिन जेल में रहकर जमानत पा लेंगे। क्योंकि हमारे देश में किसी भी घोटाले के लिए कोई हमेशा के लिए जेल में नहीं रखा जाता। माननीय लालू यादव इसकी जीती -जागती मिसाल है। अब सोचने की बात ये है कि सिसोदिया की गिरफ्तारी भाजपा के विनाशकाल को इंगित कर रही है या फिर लोकतंत्र के लिए खतरा है ,या भाजपा इसके जरिये देश को घोटालों से मुक्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। भाजपा किसी अडाणी के घोटाले को घोटाला नहीं मानती। लेकिन सिसोदिया के घोटाले को घोटाला मानती है जो किसी भी सरकार के लिए बहुत साधारण सी कार्रवाई है।

शराब घोटाले के मामले में सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद मेरी या कसी कि कोई सहानुभूति नहीं होना चाहिए , बशर्ते कि क़ानून अपना काम करे न कि भाजपा अपना मिशन 2024 पूरा करने के लिए इस तरह की कार्रवाइयां कराये । ‘भय बिन प्रीति’ का फार्मूला अब पुराना हो चुका है। भय से प्रीति नहीं नफरत पैदा होती है । दुर्भाग्य से कुछ राजनीतिक विचारधाराओं में नफरत ही राजनीति का मूलमंत्र है।