देश में आये दिन गौरक्षा के नाम पर समुदाय विशेष को निशाना बनाना आम बात है, पर वास्तव में गौसेवा से यही गुंडागर्दी करने वाला समूह दूर है. खुद को धर्मरक्षक बताने वाले इन गौरक्षकों के आतंक से देश कई हिस्से कलंकित हैं. पर मामला जब गायों के गौशाला में मारे जाने का हो, तो इन फ़र्ज़ी गौरक्षकों की ज़ुबाने सिल जाती हैं.
ताज़ा मामला देश की राजधानी दिल्ली का है. जहाँ पर एक गौशाला में 2 दिन के अन्दर 36 गायों कि मौत हो गई. पर गायों की रक्षा के नाम पर इंसानों की जान लेने वाले ये क़ातिल अब खामोश हैं. उन्हें दिखाई नहीं देता कि जिस गौमाता की रक्षा के नाम पर वो इंसानों को मार डालते हैं. वो गौमाता, अब गौशालाओं में थोक में मारी जा रही हैं.
36 cows have died in the last 2 days in a Gaushala in Delhi's Chhawla area. Team of doctors & Police are present on the spot. pic.twitter.com/PjVQzXjcjD
— ANI (@ANI) July 27, 2018
फ़र्ज़ी गौरक्षकों की ज़ुबाने सिली हुई हैं, कुछ वक़्त पहले 2017 और 2018 के शुरूआती महीनों में मध्यप्रदेश और राजस्थान की गौशालाओं में भी भारी मात्रा में गायों के मारे जाने की खबर आई थी. छत्तीसगढ़ से लेकर उत्तरप्रदेश से भी ऐसी ही ख़बरें आई थीं. इस मामले हरयाणा भी अछूता नहीं था. पर वोट की खेती के लिए इन फ़र्ज़ी गौरक्षकों का समर्थन करने वाले और गाय के नाम पर राजनीति करने वाले नेता भी खामोश थे.
सवाल ये है, कि जब आप गौरक्षा और गौमांस के नाम पर समुदाय विशेष को निशाना बनाने से नहीं चूकते तो फिर क्यों आप गौशालाओं में मरने वाली गायों पर मौन साधे हुए हैं. गौशालाओं में गायों की दुर्गति में आपकी ख़ामोशी बताती है, कि आपका गौप्रेम फ़र्ज़ी है. आप गौरक्षा के नाम पर सिर्फ और सिर्फ आतंक की दुकान खोले बैठे हैं. जो आपके लिए वोट की कमाई करने का ज़रिया है.