दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों में शाहीन बाग़ की बिलक़ीस दादी

Share
Krishna Kant

शाहीन बाग की दादी ने टाइम मैगजीन में जगह बनाई है, वे दुनिया के सौ प्रभावशाली (100 influential people of world ) लोगों की सूची में शामिल हुई हैं। जनता के ताकत की यही सुंदरता है कि वह हारकर भी जीत जाती है, दादी जिस कानून के खिलाफ धरने पर बैठी थीं, वह अभी बना हुआ है, लेकिन दुनिया यह जान गई है कि भारत लोकतंत्र के रास्ते पर जिस गति से आगे बढ़ा था, उसी गति से पीछे जा रहा है।

जब देश में प्रचारित किया जा रहा था कि शाहीन बाग में बैठे लोग देश के खिलाफ षडयंत्र कर रहे हैं, तब बाकी दुनिया भी हमारी तरफ देख रही थी। एक काले कानून के विरोध का अंजाम कुछ न हुआ हो, लेकिन जिस बात से भारतीय जनता का एक वर्ग डरा हुआ है, दुनिया भी उसे वैसे ही देख रही है।टाइम मैगजीन ने लिखा है, “लोकतंत्र के लिए मूल बात केवल स्वतंत्र चुनाव नहीं है। चुनाव केवल यही बताते हैं कि किसे सबसे ज़्यादा वोट मिले. लेकिन इससे ज़्यादा महत्व उन लोगों के अधिकारों का है, जिन्होंने विजेता के लिए वोट नहीं किया. भारत पिछले सात दशकों से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना हुआ है। यहां की 1.3 अरब की आबादी में ईसाई, मुसलमान, सिख, बौद्ध, जैन और दूसरे धार्मिक संप्रदायों के लोग रहते हैं। ये सब भारत में रहते हैं, जिसे दलाई लामा समरसता और स्थिरता का एक उदाहरण बताकर सराहना करते हैं।”

पत्रिका ने लिखा है, “नरेंद्र मोदी ने इस सबको संदेह के घेरे में ला दिया है। हालांकि, भारत में अभी तक के लगभग सारे प्रधानमंत्री 80% हिंदू आबादी से आए हैं, लेकिन मोदी अकेले हैं जिन्होंने ऐसे सरकार चलाई जैसे उन्हें किसी और की परवाह ही नहीं। उनकी हिंदू-राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने ना केवल कुलीनता को ख़ारिज किया बल्कि बहुलवाद को भी नकारा, ख़ासतौर पर मुसलमानों को निशाना बनाकर, महामारी उसके लिए असंतोष को दबाने का साधन बन गया। और दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र और गहरे अंधेरे में चला गया है।”

कभी दुनिया इस बात के लिए भारत की तारीफ करती थी कि एक देश अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ और दुनिया का सबसे सफल लोकतंत्र बना। आपातकाल और उसके बाद तक कई बार दार्शनिक लोग कहते रहे कि ‘भारत में इतनी विविधता है कि ये एक देश के रूप में बना नहीं रह सकता, ये ढह जाएगा’। लेकिन आजादी के पहले से ही नेहरू कह रहे थे कि भारत की विविधता ही भारत की खूबी है और भारत ने इसे सच साबित करके दिखाया।

आज भारत दुनिया भर में बदनामी झेल रहा है, कभी हमारे प्रधानमंत्री को ‘डिवाइडर इन चीफ’ लिखा जाता है, कभी लिखा जाता है कि “दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र और गहरे अंधेरे में चला गया है।” धर्म के आधार पर नागरिकता देने का कानून पास करने वाले देश की तारीफ भी कौन करेगा?

 

Exit mobile version