लखीमपुर खीरी हिंसा पर यूपी सरकार द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। पीठ ने कहा कि यूपी सरकार की स्टेटस रिपोर्ट में केवल गवाहों से पूछताछ करने की बात कही गयी है। इसके अलावा और कुछ नहीं। सोमवार ( 8 नवंबर) को हुई सुनवाई में तीन सदस्य पीठ ने ये बात कही। कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच पर किसी रिटायर्ड जज की निगरानी का सुझाव भी दिया। वहीं सरकार से शुक्रवार तक इस सुझाव पर अपना रुख साफ़ करने को भी कहा।
यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार :
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि जांच में केवल आशीष मिश्रा का फोन ही क्यों ज़ब्त किया गया, दुसरो के क्यों नहीं ? कोर्ट ने सबूतों और एफआईआर में गवाहों की मिलीभगत पर भी असंतुष्टि प्रकट की। गौरतलब है कि, लखीमपुर खीरी हिंसा में चार किसानों के साथ एक पत्रकार सहित कुल 8 लोगो के मरने की खबर थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामले की जांच और सबूतों में घोलमाल न हो इसलिए हम एक रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच के इच्छुक हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव में पंजब और हरियाणा के उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन, और न्यायमूर्ति रंजीत सिंह के नाम भी सुझाए।
गवाहों को संरक्षण के दिशानिर्देश दिए थे :
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट की इसी पीठ ने 26 अक्टुब को सुनवाई के दौरान गवाहों को संरक्षण देने के लिए दिशा निर्देश दिए थे। इस पीठ में प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली थे। हिंदुस्तान वेबसाइट के मुताबिक, न्यायालय ने यूपी सरकार को गवाहों के बयान को दंड प्रक्रिया सहिंता की धारा 164 के तहत दर्ज करने के निर्देश दिए थे। साथ ही विशेषज्ञों को डिजिटल साक्ष्यों की जांच के लिए भी कहा था।
लखीमपुर नरसंहार मामले में स्पष्ट है कि उप्र सरकार किसानों को कुचलने वालों के साथ खड़ी है। किसानों को कुचलने के मुख्य आरोपी के पिता (गृह राज्य मंत्री) को @narendramodi जी का सरंक्षण प्राप्त है।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 8, 2021
माननीय उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी से साफ है कि न्याय के लिए स्वतंत्र जांच होनी जरुरी है pic.twitter.com/YavugnR78R
इसी बीच यूपी में कोंग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, लखीमपुर खीरी नरसंहार में स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को कुचलने वालो के साथ खड़ी है। किसानों को कुचलने वाले के पिता को प्रधानमंत्री का समर्थन प्राप्त है। न्यायालय की टिप्पणी से साफ है कि मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
क्या थी लखीमपुर खीरी हिंसा :
दरअसल, लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को किसानों का एक समूह उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचे थे। जिसमे एक एसयूवी कार ने किसानों को कुचल दिया, जिसके बाद गुस्साए लोगों ने bjp के दो कार्यकर्ता और एक चालक को पीट दिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कार से कुचले गए लोगो में चार किसान, एक स्थानीय पत्रकार समेत 8 लोग शामिल थे। वहीं प्रदर्शन करियो के मुताबिक किसानों को कुचलने वाली कार में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के होने की बात कही। जिसके बाद पुलिस ने आशीष को नेपाल से हिरासत में लिया था।