बच्चे हमारे देश व समाज का भविष्य होते है अपने भविष्य को उच्च आदर्श, नैतिकता,अच्छा स्वास्थ और मानवता के प्रति संवेदनशीलता का ज्ञान देना हमारा कर्तव्य है। बाल मन कोमल फूल की तरह होता है जिसे बेहद देखबाल की आवश्यकता होती है वो जैसा समाज में देखता है वैसा ही अपनेय जीवन में उतारता है वैसा ही आस पास के लोगो व समाज के प्रति उसकी धारणा बन जाती है।
कुछ दिन पहले गुडगाँव के रेयान स्कूल में एक 7 साल के बच्चे के साथ दुष्कर्म करने में नाकामी के बाद उसकी बेरहमी से हत्या कर देना ये बताता है कि छोटे बच्चे किस तरह गन्दी सोच व सामाजिक क्रूरता का शिकार हो रहे है।
इस हत्याकांड में प्रद्युमन के परिजन जो पीड़ा झेल रहें है उसका कोई अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता लेकिन प्रद्युमन के सहपाठी व स्कूल के अन्य बच्चे जिन्होने अपने साथी को इस तरह मरते देखा पर कितना गहरा प्रभाव पड़ा होगा।
हो सकता है यहाँ से आगे वो छोटे बच्चे अपने आस पास हर शख्स को संदेह की नज़र से देखे और अपनी सामाजिक दायरे को ओर संकुचित कर लें। ऐसे में उनके दुनिया को देखने को देखने को,जानने के अवसर न के बराबर हो जायेंगे। समाज के कुह दूषित तत्वों के कर्मो का खामियाज़ा सब बच्चो को झेलना पड रहा है।
दिन के कुछ घंटे माँ बाप जिस स्कूल प्रशासन के जिम्मे अपने बच्चे को छोडते है उन स्कूलो पर से विश्वास उठने की नौबत आ गई है स्कूल अध्यापको द्वारा प्रद्युमन के सामान को हाथ न लगाना या तो उनके घ्रणा भाव को दिखता है या उनके डर को। इस दर्दनाक हत्याकांड में कोई एक व्यक्तिव जिम्मेदार नहीं है जिम्मेदार वो सभी है जिन्होंने उन छोटी छोटी चीजों को नज़रंदाज़ कर दिया जो बड़ी हानि का कारण बनी।
स्कूल के सामने शराब का ठेका चलाने वाला मालिक, विद्यालय जिसने बच्चो की सुरक्षा पर ध्यान नही दिया,बस चलाने वाला चालाक जिसने मासूम को अपनों हवस का शिकार बनाया,वो अध्यापक जिन्होने सच को छुपाने की कोशिश किये सभी प्रद्युमन की मौत के बराबर जिम्मेदार है।
इसके अलावा भी पुलिस सरकर प्रशासन जनता का वही जाना पहचाना चेहरा हमने देखा जो हम देखते आऐ है पुलिस का नाम मात्र के लिए अपराधी को पकड़ना, प्रशासंन का कार्यवाही का दिलासा देना व जनता का मोमबत्तियों के साथ सड़क पर निकल पड़ना।
संवेदना जताने के लिए सारी रस्मे अदा की जाती है लेकिन फिर भी दुबारा हम उसी मोड़ पर आ जाते है जहाँ से चले थे। बाल शोषण को लेकर वर्षो से मुद्दे ,प्रश्न उठाये जाते रहे आज भी उठाये जा रहे है वास्तव में सही निवारण से हम आज भी वंचित है क्यूंकि हम घटना के बाद होश में आते है पहले नहीं।
ऐसी घटनाएं होना संभव नहीं है यदि सभी लोग अपने अपने दायित्वों को निभाएं. कानून ,सुरक्षा को लेकर जागरूक रहें। शराब के नशे में स्कूल में घुसना व बच्चे की हत्या कर देना बेहद कमजोर सुरक्षा व्यवस्था और अनदेखी का ही परिणाम है।
हम हर घटना के बाद जागरूक होंने का वादा करते है इस घटना के बाद समाज कितना जागरूक होता है वो आने वाले समय में बाल शोषण व हत्या से जुडे आंकडे बतायेंगे। वर्तमान समय में हमारे पास सोचने विचारने के लिए सिर्फ एक प्रश्न है कि पर्ध्युमन की इन सब में गलती क्या थी?
स्कूल प्रशासन जिस ने इसघटनाक्रम के बाद जिस तरह का रवैया अपनाया हुआ है. उससे कई सवाल स्कूल प्रशासन पर खड़े हो रहे हैं. कि आखिर किसे बचाने की कोशिश में हैं मैडम पिन्टो.