भारी मानसूनी बारिश के बाद हुए भूस्खलन के बाद लापता कई लोगों की तलाश के लिए सैकड़ों बचावकर्मियों ने चौथे दिन भी 27 शव बरामद किए हैं। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से करीब 80 किलोमीटर दूर रायगढ़ जिले ( land slide in raigarh district maharashtra ) के इरशालवाड़ी गांव में बुधवार रात हुए भूस्खलन के बाद से 50 लोग अब भी लापता हैं।
अधिकारियों ने बताया कि गांव के 48 में से कम से कम 17 घर मलबे में पूरी तरह या आंशिक रूप से दब गए हैं। रायगढ़ के अधिकारी योगेश म्हासे ने रविवार को समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया, “हमने अब तक 27 शवों की गिनती की है, और लगभग 50 से 60 लोग अभी भी लापता हैं, उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर बचाव कार्य के लिए कई चुनौतियां हैं।
अधिकारियों ने बताया कि पहाड़ी की चोटी और दुर्गम इलाके के कारण बचाओ के प्रयासों में बाधा आ रही है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल ( NDRF ) के प्रमोद कुमार सिंह ने एएनआई को बताया, “हम भारी उपकरणों को ले जाने में सक्षम नहीं होने की बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं, यही कारण है कि सब कुछ मैन्युअल रूप से किया जा रहा है।
पहाड़ी के नीचे से, पैदल इरशालवाड़ी पहुंचने में लगभग 90 मिनट लगते हैं। बचाव एजेंसी ने कहा कि बारिश और अधिक भूस्खलन के खतरे के कारण रात में बचाव अभियान रोक दिया गया था।
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया समाचार एजेंसी ने कहा कि मृतकों में चार बच्चे भी शामिल हैं, 75 लोगों को बचाया गया है। चार लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अधिकारियों ने बताया कि उत्तर भारत में पिछले तीन हफ्तों में मानसून की रिकॉर्ड बारिश से 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।
ज्ञात होकि भारत हर साल नियमित रूप से मानसून के मौसम के दौरान गंभीर बाढ़ का अनुभव करता आ रहा है, जो जून और सितंबर के बीच चलता है। इस दौरान हमारे देश में दक्षिण एशिया में होने वाली सर्वाधिक वार्षिक वर्षा होती है। मौसम के दौरान लगाए गए वर्षा आधारित फसलों के लिए बारिश महत्वपूर्ण होती है, लेकिन अक्सर व्यापक नुकसान का कारण बनती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून अधिक अनियमित होता जा रहा है, जिससे उत्तर भारत के हिमालयी और पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार भूस्खलन हो रहा है और अचानक बाढ़ भी आ रही है। यही चीज़ अब भारत के दूसरे हिस्सों में भी नजर आने लगी है। जैसा कि अभी महाराष्ट्र में हुई यह ताज़ा घटना को ही देख लिया जाए।