सेना और सशस्त्र बलों की ट्रेनिंग में अब अफसरों को भगवद् गीता और कौटिल्य का अर्थशास्त्र पढ़ाने की सिफारिश की जा रही है। बताया जा रहा है कि इसे जल्द ही अफसरों के सिलेब्स में शामिल करने की तैयारी भी चल रही है। दरअसल ऐसा प्रधानमंत्री के आह्वाहन से प्रेरित होकर किया जा रहा है।
सीडीएम ने भारतीय ग्रंथो पर शुरू किया है शोध
प्रधानमंत्री के आह्वान से प्रेरित होकर सिंकदराबाद में स्तिथ सेना के मुख्यालय के कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट (सीडीएम) ने प्रचीन भारतीय ग्रंथों पर शोध करने की पहल की है। यह शोध आधुनिक युद्ध और सैन्य शासन के लिए प्रासंगिक हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली में सेना मुख्यालय में स्थित एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है, भगवद गीता के सैन्य सिद्धांत, रणनीतियों और युद्ध और जीवन की नैतिकता में ज्ञान और अंतर्दृष्टि का भंडार है। यह हमारे अधिकारियों और जवानों को जटिल आधुनिक युद्ध में एक स्वदेशी दृष्टिकोण देंगे।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्र प्राचीन भारत के कई अद्भुत ग्रंथों में से एक है जो राजनीति, सैन्य सोच और बुद्धि के जटिल परस्पर क्रिया में अंतर्दृष्टि लाता है।’ दो वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, ‘ इस परियोजना पर काम जारी है। पर अभी हम यह नहीं बता सकते कि पाठ्यक्रम की शुरूआत कब से की जा सकेगी।’
वर्तमान संदर्भ में कौटिल्य का अर्थशास्त्र आज भी प्रसांगिक
आधिकारियों का कहना है कि कौटिल्य का अर्थशास्त्र सशस्त्र बलों के लिए वर्तमान संदर्भ में काफी प्रासंगिक है। इसमें सशस्त्र बलों में एक सामान्य अधिकारी से लेकर एक पैदल सैनिक के लिए कई सीखने वाली चीजें शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि तीन ग्रंथ, वर्तमान परिदृश्य में नेतृत्व, युद्ध और रणनीतिक सोच के संबंध में प्रासंगिक हैं। अध्ययन ने पाकिस्तान और चीन में मौजूद लोगों की तर्ज पर एक भारतीय संस्कृति अध्ययन मंच स्थापित करने की सिफारिश की।