ये वो पढ़ें, जिन्हें लगता है की हर आदमी टैक्स नहीं देता ?

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मैं सुबह उठा फ्रेश होने से ब्रश करने और नहाने तक़ मैने हैंडवाश, टूथपेस्ट और शैम्पू मिलाकर लगभग दस रुपये की सामग्री इस्तेमाल की जिस पर 18 % की दर से लगभग 2 रुपये टैक्स सरकार को अदा किया।

उसके बाद मैने अपनी टू व्हीलर गाड़ी उठाई जो मैने सरकार को लगभग 20000 रुपये (28% की दर से 15000 GST और लगभग 5000 RTO) चुकाकर खरीदी थी, पेट्रोल पंप पहुंचा और एक लीटर पेट्रोल भरवाया जिस पर टैक्स के रूप में सरकार ने मुझसे लगभग 50 रुपये वसूले।पेट्रोल भरवाने के बाद मैं अगले चौराहे पर चौरसिया जी की पान की पान दुकान पर रुका और पांच रुपये वाले रजनीगंधा के पांच पाऊच खरीदे जिस पर 28% GST और 60% सेस मिलाकर सरकार को लगभग 12 रुपये टैक्स अदा किया, साथ ही मैने तुलसी-00 का 60 रुपये वाला एक जिपर पाऊच खरीदा जिस पर 28% GST और 160% सेस मिलाकर लगभग 40 रुपये टैक्स अदा किया, वहीं खड़े खड़े मेरा एक मित्र भी आ गया जिसने एक गोल्ड-फलैक प्रीमियम सिग्रेट की डिब्बी खरीदी जिस पर उसने 28% GST 5% सेस और लगभग 30 रुपये एडिसनल सेस मिलाकर लगभग 50 रुपये के आस पास टैक्स के रूप में अदा किया।

वहां से निकलने के बाद गर्मी होने की वजह से प्यास की शिद्दत महसूस हुई तब मैंने किराना स्टोर पर रुक कर एक बिस्लेरी की एक लीटर की बाॅटल खरीदी जिस पर सरकार लगभग 18% टैक्स वसूलती है इस हिसाब से मैने एक पानी की बाॅटल पर सरकार को लगभग चार रुपये टैक्स के रूप में चुकाये।

इसके अलावा भी मैं हर रोज़ खाने पीने की वस्तुओं से लेकर घर में इस्तेमाल होने वाली चीज़ें जिसमें वाशिंग पाऊडर से लेकर तेल, शक्कर, घी और मसालों को मिलाकर ना जाने कितनी वस्तुओं को खरीदते समय सरकार को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स की अदायगी करता हूँ। मैं जूता और कपड़ा खरीदता हूँ तो सरकार को टैक्स देता हूँ और घर के किसी बीमार सदस्य की दवा खरीदता हूँ तो उस दवा से मरीज़ को राहत पहुंचने से पहले सरकार का उस दवा पर लगने वाला टैक्स उसे दे देता हूँ।

मैं मोबाईल खरीदता हूँ तो टैक्स चुकाता हूँ और रीचार्ज कराता हूँ तो टैक्स चुकाता हूँ, मैं टीवी खरीदता हूँ तो टैक्स देता हूँ और टीवी देखता हूँ तो टैक्स देता हूँ। गोया कि हर दिन हर सप्ताह हर महीने हर साल सरकार को मैं और मेरे जैसे करोड़ों लोग अलग-अलग रूपों में सरकार के इस टैक्स रूपी महायज्ञ में किसी ना किसी तरीके से आहुतियां देते-देते हीं देते हैं। आपका किसी दिन एक वक़्त की रोटी खाना छूट सकता है पर किसी दिन आपकी जेब से सरकार के खजाने में टैक्स के रुप में कुछ ना जाए ऐसा होना पाॅसिबल हो ही नहीं सकता है।