बिहार में पिछले समय काफी राजनीती घटना कर्म हुए थे. इसी घटना क्रम में जदयू का भाजपा के साथ जाने पर विरोध करने वाले दो नेता थे – शरद यादव और अली अनवर. दोनों ही राज्य सभा सासद थे. इन दोनों ने भाजपा से गठबंधन का बहुत विरोध किया था तब पार्टी ने उनकी राज्य सभा की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी.
इसी क्रम पार्टी सुप्रीमो ने पार्टी की गाइड लाइन से हट कर काम करने के करण को चिन्हित करके उपसभापति को पत्र लिख व मिलकर कर सदस्यता रद्द करने की मांग की थी.
राज्यसभा के सभापति जदयू की इस दलील से सहमत नजर आए कि पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन कर और विपक्षी पार्टियों की गतिविधियों में शामिल होकर इन दोनों नेताओं ने स्वत: अपनी सदस्यता का परित्याग कर दिया है. शरद यादव और अली अनवर ने पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन कर विपक्षी दलों की पटना रैली में भाग लिया था. इसके आधार पर जदयू ने राज्यसभा से उनकी सदस्यता खत्म करने की मांग की थी। शरद यादव पिछले साल ही राज्यसभा के लिए चुने गए थे और उनका कार्यकाल 2022 तक था. अली अनवर का कार्यकाल अगले साल के शुरू में खत्म हो रहा था.
दोनों सांसद बिहार के मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार द्वारा भाजपा से हाथ मिलाने का विरोध कर रहे थे. इसके खिलाफ उन्होंने विरोधी दलों से हाथ मिला लिया था. इससे पहले नायडू ने शरद यादव और अली अनवर को उनकी राज्यसभा सदस्यता रद करने के मामले में 30 अक्टूबर को पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा था. अब उनको दो-तीन महीने में सांसद का आवास भी खाली करना पड़ जाएगा.