मोदी समर्थको का सबसे बड़ा इल्जाम पिछली UPA सरकार पर यह होता है कि उनके समय ही सारे कर्ज उद्योगपतियों को बांटे गए जो आज डूब रहे है. लेकिन कल एक बेहद दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है. आरबीआई ने बताया है कि पिछले दस सालों में सात लाख करोड़ से ज़्यादा का बैड लोन राइट ऑफ हुआ. यानी उद्योगपतियों द्वारा न चुकाए गए क़र्ज़ को बट्टे खाते में डाला गया है.
आगे आरबीआई बताता है कि इस 7 लाख करोड़ का 80 फीसदी जो लगभग 5 लाख 55,603 करोड़ रुपये होता है, पिछले पाँच सालो के मोदी राज में बट्टे खाते में डाला गया है. इसका अर्थ है यह भी कि UPA के मनमोहन सिंह के राज के पांच सालो में मात्र करोड़ रूपये डेढ़ लाख करोड़ ही राइट ऑफ़ किये गए. जिसे मोदी समर्थक सबसे खराब सरकार कहते है.
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक़ बैंकों ने जो लों राईट ऑफ़ किया है
- 2016-17 में 1,08,374 करोड़
- 2017-18 में 1,61,328 करोड़
- 2018-19 को पहले छह महीने में 82,799 करोड़
- 2018-19 को बाद के तीन महीने में 64,000 करोड़
अब एक मजेदार तुलना है, सभी बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान अप्रैल-दिसंबर तक में ही 1 लाख,56,702 करोड़ रुपये के बैड लोन को राइट ऑफ किया. यानी जितना UPA के पांच सालो में उद्योगपतियों के बैड लोन को राइट ऑफ किया गया उससे भी अधिक 2018-19 वित्त वर्ष के सिर्फ 9 महीनो में मोदी सरकार ने उद्योगपतियों का 1 लाख 56,702 करोड़ रुपये के बैड लोन को राइट ऑफ कर दिया. यह हैरान कर देने वाला आंकड़े है.
सबसे बड़ी बात तो यह है कि सूचना आयोग पूछ रहा है, सुप्रीम कोर्ट पूछ रहा है कि आखिर ये कौन लोग हैं जिनके इतने लोन राइट ऑफ किए गए हैं. लेकिन मोदी सरकार वो भी नही बताएंगी, ………….क्या किसी को अब भी शक है कि यह सरकार पूंजीपतियों की सरकार है? जो लोन राइट ऑफ करके बैंको को डुबोने में लगी हुई है.