लोग सिर्फ 52 सैकेंड के लिए नहीं देश के लिए 52 साल भी खड़े रह सकते हैं, पर किसी की जिद और सनक को पूरा करने के लिए 52 सैकेंड भी खड़े रहना आत्मसम्मान को घायल कर देता है ! कुछ भी साबित करने का दबाब अगर एक सैकेंड के लिए भी हो तो किसी और का तो पता नहीं पर मुझे हर्गिज मंजूर नहीं होगा !
पर मैं ये भी नहीं कहता कोई मेरे गले पर चाकू रख दे फिर भी नहीं,क्योंकी ना मैं कोई पॉलिटिकल आदमी हूँ और ना ही कोई सुपर हीरो, हो सकता है इस बात को लेकर कल तुम मेरे गले पर चाकू लेकर मुझपर सवार हो जाओ पर मैं तुम्हे यकीन दिलाता हूँ, अगर ऐसा हुआ तो मुझसे पहले तुम मारे जाओगे ! क्योंकी ये वो पागलपन है जो आज नहीं तो तक तुम्हे भी झेलना पड़ेगा गाँधी के देश में धारणाओं की देशभक्ति देखना बेहद दुखद है.
आप यूँ ही हिसाब किताब कर जोड़ घटाने करते रहें “बराबर करने पर सिर्फ नेताओं का फायदा ही निकल कर आयेगा” मेरी ये बात तुम चाहो तो लिख कर रख लो, सियासत तुम्हे किसी से नफरत करना सिखाये या फिर किसी और को जताने के लिए देशभक्ति की नई नई परिभाषायें बताये इसमें सीधा नुकसान तुम्हारा ही है.
जो “कथित” देशभक्ति एक नागरिक को दूसरे नागरिक पर शक करना सिखाये वो और भले कुछ भी हो देशभक्ति तो कतई नहीं हो सकती है ! बिना समानता की बात को लागू किये कोई भी देशभक्त नहीं हो सकता समानता की व्याख्या करने के लिए पहले समानता का मतलब भी समझ लेना आजादी और समानता बातों में नहीं चरित्रों में बसती है.
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