अमेरिका ( america) की टाइम्स (times) पत्रिका ने फिलिस्तीन (pakistani)के दो युवाओं को अपनी सबसे प्रभावशाली लोगों की वार्षिक सूची में शामिल किया है। दोनों युवा जुड़वा भाई-बहन हैं। भाई का नाम मोहम्मद अल-कुर्द, और बहन का नाम मुना-अल-कुर्द है, और दोनों ईस्ट जेरूसलम के शेख़ जर्राह में रहते हैं।
दरअसल दोनों एक्टिविस्ट हैं। यह युवा ईस्ट जेरूस्लम में इज़राइली बस्तियों के विरोध में हो प्रोटेस्ट का वैश्विक चेहरा बन कर उभरे थे।
दोनों ने मिलकर शुरू किया था प्रोटेस्ट
इसी साल दोनों भाई बहनों ने मिलकर ईस्ट जेरुसलम में प्रोटेस्ट शुरू किया था। ये प्रोटेस्ट इज़राइल के एक कानून के विरोध में है। प्रोटेस्ट के दौरान इज़राइल पुलिस ने दोनों को हिरासत में भी लिया था। हालांकि कुछ घण्टों बाद दोनों को रिहा भी कर दिया था।
इज़राइल और फिलिस्तान के बीच ज़मीनी विवाद बरसों से चल रहा है। वहीं ईस्ट जेरुसलम, इज़राइल अधिकृत है, ऐसे में इज़राइल के 1948 के कानून के तहत इज़राइली लोग जेरूसलम में आकर बस रहे हैं। जिसके चलते शेख जर्राह और जेरूसलम के लोगो को अपनी ज़मीन से हाथ धोना पड़ रहा है।
क्या है पूरा मामला:
इज़राइल दोनों एक ही जमीन पर अपना दावा करते हैं। लंबे समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। कुछ समय पहले इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच गाज़ा पट्टी को लेकर भी खबर सामने आईं थीं। दरअसल, फिलिस्तीन का पूर्वी जेरूसलम, इज़राइल का अधिकृत है। वहीं जेरूसलम से सटा शेख जर्राह में भी इज़राइल का प्रभाव देखा जाता है।
2009 से इज़राइली लोग जेरूसलम और शेख जर्राह में आकर बस्ते रहे हैं। ऐसा इज़राइल के 1948 के एक कानून के तहत किया जा रहा है। इस कानून के अंतर्गत कोई इज़राइली यहूदी, जेरूसलम और शेख जर्राह आकर बस सकते हैं। यह कानून इज़राइल के यहूदियों को अपनी खोई हुई संपति को भी पुनः वापस लेने की अनुमति देता है।
इसके कारण जेरुसलम और शेख जर्राह के लोगों को लगातार उनके घर से बेदखल किया जा रहा है। बता दें कि 1948 के इज़राइली कानून के तहत सम्पति को लेकर जो अधिकार इज़राइल के यहूदियों को है वो शेख जर्राह और जेरुसलम के लोगों को नहीं हैं।
इज़राइल के कानून के विरोध में प्रोटेस्ट:
यूट्यूब चैनल TRT world की रिपोर्ट के मुताबिक इज़राइल के इस कानून के विरोध में फिलिस्तीनी नागरिक मोहम्मद अल-कुर्द और उसकी बहन मुना अल-कूर्द ने प्रोटेस्ट शुरू किया है। ये प्रोटेस्ट इसी साल शुरू किया गया है, वहीं इसका उद्देश्य शेख जर्राह और जेरुसलम में हो रही जबरन बेदखली के प्रति लोगों को जागरूक करना है।
मोहम्मद और मुना न केवल इस कानून का विरोध कर रहे हैं, बल्कि लगातार सोशल मीडिया पर इसके बारे में बोल भी रहें हैं। बता दें कि प्रोटेस्ट के दौरन 6 जून 2021 को मोहम्मद और मुना को इज़राइली पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। हालांकि कुछ घंटों तक हिरासत में रखने के बाद दोनों को छोड़ भी दिया था। प्रोटेस्ट के वैश्विक चेहरा बनने के बाद USA की जानी मानी पत्रिका टाइम्स ने भाई -बहन की इस जोड़ी को 100 सबसे प्रभावशाली लोगो की लिस्ट में शामिल किया है।
When I say we broke a dam, I mean we broke a whole ass dam. @TIME recognizing Palestinian resistance as something exemplary and sharing what all Palestinians have already known. Mabruk Mohammed & Muna, mabruk world. #PalestiniansTeachingLife https://t.co/hAWIn4ofLK
— Noura Erakat (@4noura) September 15, 2021
कौन है मोहम्मद और मुना
मोहम्मद अल कुर्द और मुना अल कूर्द फिलिस्तीनी मूल के जुड़वा भाई बहन हैं। मुना ने मीडिया और जर्नलिज्म की पढ़ाई की है। वहीं वर्तमान में फिलिस्तीनी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही हैं। जेरुसलम में इज़राइली बस्तियों के खिलाफ मुना की लागातर सक्रियता देखी गयी है। दूसरी और मोहम्मद अल कूर्द संयुक्त राज्य अमेरिका में MA की पढ़ाई कर रहे थे।
शेख जर्राह लौटने के बाद मोहम्मद को भी इज़राइली बस्तियों के विरोध में सक्रिय देखा गया है। मोहम्मद एक फिलिस्तीनी लेखक और कवि है, और लगातार ईस्ट जेरुसलम और शेख जर्राह के बारे में लिखते रहें है। इज़राइल द्वारा जबरन घरों से बेदखली को मोहम्मद ने जातीय सफाई के रूप में अपने लेख और कविताओं में सन्दर्भित किया है। मुना और मोहम्मद ने छोटी उम्र से ही इज़राइली अधिकारियों के उत्पीड़न और बेदखली का सामना किया है।
2009 में इज़राइली लोगो ने मोहम्मद और मुना के परिवार की ज़मीन का आधा हिस्सा ले लिया था, घर छोड़ने के लिए 30 दिन की मोहलत भी दी गयी थी। इसके विरोध में जिला अदालत में एक याचिका दर्ज की गई थी, जिसकी सुनवाई अभी तक चल रही है। अगर अदालत का फैसला इज़राइली कानून के हक में आता है तो मोहम्मद और मुना के साथ 11 और फिलिस्तीनी परिवारों को अपना घर छोड़ कर जाना होगा।