फिलीस्तीनी राजदूत को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान आतंकी और मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद के समर्थन में उतर आया है. वहीं, भारत के सख्त ऐतराज के बाद आतंकी हाफिज के साथ मंच साझा करने वाले अपने राजदूत को फिलिस्तीन ने पाकिस्तान से वापिस बुला लिया है.
- भारत में फलस्तीन के राजदूत अदनान अबू अल हायजा ने शनिवार कहा कि पाकिस्तान में आतंकी हाफिज सईद की रैली में शामिल हुए फलस्तीनी राजदूत वलीद अबू अली को वापस बुला लिया गया है.
- हायजा ने कहा कि भारत और फलस्तीन के नजदीकी एवं मित्रतापूर्ण संबंधों को देखते हुए अली का कदम ‘अस्वीकार्य’ है.
- भारत ने जमात उद दावा के सरगना एवं संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित हाफिज सईद के कार्यक्रम में पाकिस्तान स्थित फलस्तीनी राजदूत की मौजूदगी पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे अस्वीकार्य बताया है.
Palestine has decided to recall its Ambassador to Pakistan, Walid Abu Ali, for sharing stage with Hafiz Saeed, confirms Palestinian Ambassador to India Adnan Abu Al Haija
— ANI (@ANI) December 30, 2017
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर कोई रोक नहीं– पाकिस्तान.
- अब पाकिस्तान फिलिस्तीन की कार्रवाई के बाद, सयुंक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित संगठन जमातुद्दावा प्रमुख, आतंकी हाफ़िज़ सईद के समर्थन में उतर आया है.
- पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है, ‘’फिलिस्तीन के समर्थन में पाकिस्तान में कई रैलियां आयोजित की गई थीं.
- रावलपिंडी की रैली में पचास से ज्यादा लोगों ने भाषण दिए जिसमें से हाफिज सईद भी एक था.
- यूएन के प्रतिबंध किसी व्यक्ति की अभिव्यक्ति की आज़ादी पर कोई बंदिश नहीं लगाता.’’
क्या है पूरा मामला?
- दरअसल पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में 29 दिसंबर को दिफा-ए-पाकिस्तान संगठन ने फिलिस्तीन के समर्थन में एक रैली आयोजित की थी.
- उसी रैली में तत्कालीन फिलिस्तीनी राजदूत ने आतंकी हाफिज के साथ मंच साझा किया था.
- इस पर भारत सरकार ने कड़ा ऐतराज दर्ज कराया था.
- ये पूरा घटनाक्रम उस वक्त हुआ जब तमाम कूटनीति को दरकिनार करते हुए हिंदुस्तान ने अमेरिका के प्रस्ताव के खिलाफ यूएन में वोट किया था.
- वो प्रस्ताव जिसमें येरुशलम को इजरायल की राजधानी की मान्यता देने का जिक्र था.
- येरुशलम को लेकर फिलिस्तीन और इजरायल में पुरानी अदावत है और इस प्रस्ताव पर हिंदुस्तान अपने परंपरागत दोस्त फलिस्तीन के समर्थन में खड़ा हुआ था.
- उसी का नतीजा है कि पाकिस्तान के मुकाबले फिलिस्तीन ने हिंदुस्तान पर भरोसा जताया है.