आज के दिन को भारतीय इतिहास में काला दिन कहूं या उज्जला ये तो समझ नहीं आ रहा, पर ये दिन ऐतिहासिक तो है. ऐतिहासिक इसलिए कि पहली बार कोई बालने की जहमत उठा रहा है, वो भी न्यायपालिका के खिलाफ खुलकर.
आज सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जज ये कहते हुए प्रेस कांफ्रेस करते हुए आ गये कि अन्दर हमारी बात नहीं सुनी जा रही है. ये निश्चित रूप से दुखद है कि लोकतंत्र के प्रहरी के खिलाफ ही लोकतंत्र को दबाने के आरोप लग रहे है.
इस पीसी में जस्टिस जास्ती चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए. ज्ञात रहे कि जस्टिस चम्लेश्वर दुसरे सबसे सीनियर जज(चीफ जस्टिस के बाद) है.
प्रेस कांफ्रेस की मुख्य बातें
बकौल जस्टिस चेलमेश्वर
- किसी देश के लोकतंत्र के लिए जजों की स्वतंत्रता जरूरी है, ऐसे में लोकतंत्र सरवाइव नहीं कर पाएगा
- हम नहीं चाहते कि हम पर कोई सवाल उठे और न्यायपालिका की निष्ठा पर सवाल उठे
- हमें इस तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस करने में कोई खुशी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन में गड़बड़ी है। पिछले महीने में कुछ ऐसी बातें हुई हैं.
- CJI पर दोषारोपण के मामले पर जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, ‘देश को निर्णय लेने दीजिए
- हमने खुद जाकर चीफ जस्टिस से बताया कि प्रशासन में सब कुछ ठीक नहीं है लेकिन जब बात नहीं सुनी गई तो प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी.
- जज लोया की मौत पर सवाल- क्या केस अलॉट करने का सवाल है? जस्टिस गोगोई ने कहा ‘हाँ.