नोट बंदी और GST पर मोदी सरकार बार बार ये दावा कर रही है कि, इससे देश को कोई नुकसान नहीं हुआ, पर इसी दावें को लेकर बुद्धिजीवी वर्ग और विपक्ष बार बार उठता रहा है पर केन्द्र सरकार और उसके मंत्रीगण ये मानने को तैयार ही नही हैं. पर सरकार की समय समय पर बुद्धिजीवियों द्वारा चेताया गया भी है. अब इसमे नया नाम जुड़ा है, पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर वाई वी रेड्डी का.
पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर वाई वी रेड्डी ने कहा कि, जीएसटी, नोटबंदी और एनपीए समस्या के चलते अल्प अवधि में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल काम है. भारतीय अर्थव्यवस्था को इससे उबरने में अभी दो और साल का वक्त लग सकता है और इसी अवधि में भारत को 7.5 फीसद की वृद्धि का लक्ष्य रखना चाहिए.
साथ ही उन्होंने कहा कि यह एक झटका है जिसकी नकारात्मक धारणा के साथ शुरुआत हुई है. इसमें कुछ सुधार आ सकता है और उसके बाद कुछ फायदा मिल सकता है. फिलहाल इस समय इसमें परेशानी है और लाभ बाद में आएगा. कितना फायदा होगा और कितने अंतराल के बाद यह होगा, यह देखने की बात है.
रेड्डी ने आगे कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को लगातार तीन साल तक एक प्रकार का सकारात्मक झटका कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के रूप में मिला है.
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