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नोटबंदी का मारा होटल मालिक करोड़ों का क़र्ज़ लेकर फ़रार

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क्या आप इस पर यकीन कर सकते हैं कि जिस आदमी का शहर में फोर रेटिंग का आलीशान होटल हो, शहर की पॉश कालोनी में शानदार कोठी हो, जिसके पोर्च में कई महंगी लग्जरी गाड़ियां खड़ी हों, खानदानी रईस हो, वह नोटबंदी के चलते इतना कर्जदार हो जाए कि परिवार समेत शहर छोड़कर भाग जाए?
मेरठ में ऐसा ही हुआ है। हिमांशु पुरी नाम का कारोबारी बैंक और सूदखोरों के कर्ज के चलते इतना दब गया कि उसने शहर छोड़ दिया। कहा तो यह भी जा रहा है कि उसने विदेश की राह पकड़ ली है। जो कहानी सामने आ रही है, वह बता रही है कि नोटबंदी ने उसे बरबाद कर दिया।
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नोट बंदी के बाद उसका होटल व्यवसाय बैठता चला गया। बकौल उसके दोस्तों के, हिमांशु ने बताया था कि नोटबंदी के बाद होटल में लोग खाना खाने वाले बेहद कम होते गए। होटल में होने वाले आयोजन भी बेहद कम हो गए। होटल का बार बंद होने की वजह से बार भी ठप हो गया। कारोबार बैठता गया, कर्ज बढ़ता गया। बैंक नोटिस पे नोटिस देते गए, सूदखोर अपना पैसा मांगने लगे। होटल बेचने की सोची तो वह भी नहीं बिका। आखिर उसने शहर छोड़ दिया।
अब लेनदारों ने उसकी कोठी पर ताला जड़ दिया है। उसकी महंगी गाड़ियां खींच कर ले गए। नोटबंदी के ‘मास्टर स्ट्रोक’ ने कितने लोगों को सड़क पर ला दिया, इसका कोई आंकड़ा नहीं है। सोचिए, हिमांशु पुरी की बरबादी से कितने लोग और बरबाद हुए होंगे। उसके यहां काम करने वाले लोग एकदम सड़क पर आ गए।
जिन लोगों को लगता है कि नोटबंदी काला धन बाहर निकालने का ‘मोदी मास्टर स्ट्रोक’ था, वे उन करोबारियों के दिलों में झांक कर देखें, जो शायद अभी इस इंतजार में हैं कि मोदी कुछ करेंगे और उनका संकट खत्म हो जाएगा। न जाने कितने हिमांशु पुरी होंगे, जिन्हें नोटबंदी ने सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया होगा।

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