डेल्टा प्लस वेरिएंट से मौत का कोई ठोस आंकड़ा नहीं : रणदीप गुलेरिया

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Megha Thakur

भारत में कोरोना के नए मामले लगातार 50 हजार से कम दर्ज हो रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर भी अब सुस्त पड़ती दिख रही है। लेकिन इसी बीच कोरोना के नए वेरिएंट डेल्टा प्लस अपना पैर पसार रहा है। अब तक इस वेरिएंट के 50से अधिक मामले पूरे देश में सामने आ चुके हैं।

एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने डेल्टा प्लस वेरिएंट पर बोलते हुए कहा कि “अब तक ऐसा कोई डेटा नहीं मिला है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि डेल्टा प्लस वैरिएंट के चलते ज्यादा मौतें हुई हैं। या फिर इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके अलावा कोरोना वैक्सीन को मात देने की बात भी किसी डेटा से कन्फर्म  नहीं होती। रणदीप गुलेरिया ने आगे बताया  कि यदि कोरोना से निपटने के लिए तय प्रोटोकॉल का पालन किया जाए तो हम किसी भी नए उभरने वाले वैरिएंट से सेफ रहेंगे। वैक्सीनेशन के मिश्रण वाले स्टडी पर बोलते हुए गुलेरिया ने कहा कि कुछ स्टडीज में ऐसा कहा गया है कि यह ज्यादा प्रभावशाली हो सकता है। लेकिन इस पर और डेटा इकट्ठा की  है। फिलहाल इस स्टडी आधार पर इस प्रयोग को लागू नहीं किया जा सकता।

भारत में डेल्टा प्लस वैरिएंट का पहला केस 11 जून को मध्य प्रदेश के इंदौर में मिला था। आपको बता दें कि डेल्टा वेरिएंट का ही म्यूटेशन  डेल्टा प्लस वैरिएंट है। यह डेल्टा से ही तब्दील होकर बना है। अब तक भारत समेत 12 देशों में इसके केस मिल चुके हैं। इसके अलावा भारत की बात करें तो राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और कर्नाटक समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में डेल्टा प्लस वैरिएंट के केस मिले हैं।

हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक देश भर में अब तक डेल्टा प्लस वैरिएंट के 51 केस मिल चुके हैं। अब तक कोरोना की बुरी मार झेलने वाले महाराष्ट्र में ही इसके सबसे ज्यादा केस मिले हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश और केरल का स्थान है। गौरतलब है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर का सबसे बड़ा कारण डेल्टा वेरिएंट ही था।

कोविड वैक्सीन का निर्माण अल्फा वेरिएंट को ध्यान में रखकर किया गया था। लेकिन अब एक्सपर्ट्स का कहना है कि डेल्टा वेरिएंट और नए उभरते वेरिएंट वैक्सीन द्वारा निर्मित एंटीबॉडी को आसानी से पार करने की क्षमता रखते हैं। वैज्ञानिकों ने यह भी चिंता जताई है कि नए वेरिएंट में ऐसे गुण होते हैं जिनके जरिए वे इम्यून सिस्टम से भी अपना बचाव कर सकते है। नए वेरिएंट्स वैक्सीन की इम्यूनिटी को चकमा देने में कामयाबी हासिल कर सकते हैं।