बिहार का सबसे पिछड़े गांवों में से एक बना नागाटोली”,जहां पीने का पानी भी नही है।

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Heena Sen

फेसबुक टाइमलाइन पर एक वीडियो कुछ दिनों से तैर रही है। बीते कुछ दिनों से ये वीडियो खूब वायरल हो रही है। इस वीडियो में दिखाया गया था कि एक बीमार महिला को कुछ लोगों का समूह खटोले पर बांध कर पहाड़ी से नीचे उतार कर ले जा रहे हैं।

जब उन सभी लोगों से सवाल किया गया कि आप इस महिला को ऐसे खतरनाक तरीके से बांध कर कहा ले जा रहे हैं। तब उन लोगो में कुछ लोगों ने कहा कि वह उस महिला को इलाज के लिए रोहताश पंचायत के अस्पताल ले जा रहे हैं। गांव के निवासियों का कहना है कि सालों इस गांव के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं और रोजमर्रा के जीवन की जरूरतों के लिए ये पहाड़ चढ़ने उतरने को मजबूर हैं।

यह पूरा मामला बिहार के रोहतास पंचायत के नागाटोली गांव का है। जन अधिकार पार्टी के महासचिव तौराब नियाजी ने अपने फेसबुक के जरिए एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने इस वीडियो में 1500 फीट ऊंचाई कर बने एक गांव के सभी समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया है।

सड़क तो छोड़िए नहीं है पीने के पानी की व्यवस्था

पहाड़ी पर बसे इन गांवों की आबादी करीब दस हजार बताई जा रही है। वीडियो में नागाटोली के रहने वाले भूरा यादव से जब पूछा गया की, बताइए इस गांव में आपको किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

जिस पर वो अपनी स्थानीय भाषा में कहते हैं कि ‘आप यहां घाट चढ़ कर आएं हैं ना, पहली बात यहां रोड नहीं है। दूसरा यहां पीने के पानी की बहुत प्रोब्लम है। साथ ही अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसके लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है।’

इसपर तौराब नियाज़ी कहते हैं कि “लेकिन स्वास्थ्य केंद्र तो हैं ना यहां”। इस बात पर भूरा यादव कहते हैं कि ‘स्वास्थ्य केंद्र तो है पर उसमे डॉक्टर है नहीं। कभी हमने इस स्वास्थ्य केंद्र में कोई डॉक्टर नहीं देखा। जो उपस्वास्थ्य केंद्र है उस पर हमेशा ताला ही लगा रहता है।’

आगे भूरा यादव बताते हैं कि अगर किसी गर्भवती महिला की डिलीवरी होनी होती तो, उसे भी इसी तरह खटोला पर उतार कर अस्पताल ले जाया जाता है। कोरोना में भी कोई डॉक्टर यहां नहीं आया, टीकाकरण की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां बस आंगनवाड़ी वाली महिलाएं आती हैं।

चुनाव के समय नीतीश कुमार भी कर चुके हैं दौरा

भूरा यादव आगे कहते हैं, कभी कोई नेता नहीं आया। हां कर चुनाव के समय हेलीकॉप्टर से नीतीश कुमार आए थे। जब वो यहां आए थे उन्होंने कहा था, आज हम उड़न खटोला में बैठ कर आए हैं, अगली बार हम यहां रोड पर गाड़ी से आएंगे। लेकिन आज तक हमारे यहां किसी चीज की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है।

एसडीएम ने झुठलाया था खराब स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का दावा

कुछ दिन पहले इसी तरह की एक वीडियो पर जब स्थानीय एसडीएम से जवाबदेही मांगी गई, तो उन्होंने इस वीडियो के सभी दावों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि गांव का उपस्वास्थय केंद्र चल रहा है साथ ही वहां डॉक्टर भी मौजूद है।

 

एसडीएम की बातों की खुली पोल

एसडीएम का दावा था कि गांव में सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं और उनका ठीक प्रकार से संचालन किया जा रहा है। परंतु जब तोराब नियाज़ी ने अपनी वीडियो के जरिए स्थानीय उपस्वास्थय केंद्र के जो हालात दुनिया को दिखाए, वो अपने आप में सारी सच्चाई बयां करते हैं।

उपस्वास्थय केंद्र तक पहुंचने के लिए एक कच्ची सड़क से होकर गड्ढों को पार करते हुए जाना होता है। इसके बाद उपस्वास्थय केंद्र पर जब नियाज़ी पहुंचते हैं तो वहां एक ताला लगा था जो सालों से खोला नहीं गया, जिसके कारण उस ताले पर जंग लग गया था।

साथ आस पास जानवरों का मल पड़ा हुआ था। वहां मौजूद एक शख्स कहता है हमारी सरकार से फिलहाल इतनी ही मांग है कि एक डॉक्टर यहां मौजूद रहना चाहिए। ताकि कोई सीरियस बीमारी हो या किसी महिला की डिलीवरी हो तो यहां उसकी सुविधा आसानी से मिल जाए, 10 से 11 लोगों को घर से उतार कर खटोला पर नीचे न ले जाना पड़े।

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