लखनऊ कोर्ट परिसर में गैंगस्टर की हत्या: जानिए कौन था संजीव माहेश्वरी जीवा ?

Share

जेल में बंद गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा की बुधवार को लखनऊ की एक अदालत में गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने बताया कि वकील की तरह कपड़े पहने हमलावर को हिरासत में ले लिया गया है। माहेश्वरी को एक आपराधिक मामले में सुनवाई में हिस्सा लेने के लिए अदालत लाया गया था, जब आरोपियों ने उन पर गोली चला दी। पास में खड़ी एक महिला गोली लगने से घायल हो गई।

माहेश्वरी (48) भाजपा के दो नेताओं ब्रह्मदत्त द्विवेदी और कृष्ण नंद राय की हत्या सहित कई आपराधिक मामलों में आरोपी था । उसे 1997 में द्विवेदी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था, जबकि उन्हें 2005 में राय की हत्या में बरी कर दिया गया था।

माना जाता है कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी 1995 के कुख्यात गेस्टहाउस मामले में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किए जाने के बाद बसपा प्रमुख मायावती को बचाने के लिए आगे आए थे।

कौन था संजीव माहेश्वरी जीवा ?

संजीव माहेश्वरी जीवा मुजफ्फरनगर के रहने वाले थे, जो ओम प्रकाश माहेश्वरी और कुंती माहेश्वरी के बेटे थे। उनकी पत्नी पायल के साथ उनके तीन बेटे और एक बेटी है, जिन्होंने 2017 में आरएलडी के टिकट पर मुजफ्फरनगर से विधानसभा चुनाव लड़ा था और हार गए थे।

पुलिस के मुताबिक संजीव माहेश्वरी 24 मामलों में आरोपी था, जिसमें से 17 में उसे बरी कर दिया गया था। वह मुजफ्फरनगर, शामली और फर्रुखाबाद क्षेत्रों में हत्या, अपहरण, जबरन वसूली, डकैती के मामलों में शामिल था।

कृष्णा नंद राय हत्याकांड में बरी

2019 में, दिल्ली की एक अदालत ने तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और छह अन्य की हत्या के मामले में सह-आरोपी मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफज़ल अंसारी के साथ माहेश्वरी को बरी कर दिया था। इस मामले में सभी प्रत्यक्षदर्शी और गवाह अपने बयान से मुकर गए थे।

मोहम्मदाबाद के तत्कालीन विधायक राय ने 2002 के विधानसभा चुनाव में अफज़ल अंसारी को हराया था। 29 नवंबर, 2005 को छह अन्य लोगों के साथ उनकी हत्या कर दी गई थी, जब स्वचालित और अर्ध-स्वचालित हथियारों से लैस कुछ लोगों ने उनका पीछा किया और उनके वाहन पर गोलियां चलाईं।

ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में सजा

फर्रुखाबाद से तत्कालीन भाजपा विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की 10 फरवरी 1997 को हत्या कर दी गई थी। उनके बेटे सुनील दत्त ने 2017 में अंग्रेज़ी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि उनके पिता जब फर्रुखाबाद जिले के सिटी कोतवाली क्षेत्र में एक तिलक समारोह में भाग लेने के बाद अपनी कार में बैठे थे तो उनकी हत्या कर दी गई थी । हमले में उनके गनर बीके तिवारी की भी मौत हो गई, जबकि उनके ड्राइवर रिंकू को चोटें आईं थीं।

17 जुलाई, 2003 को लखनऊ की सीबीआई अदालत ने माहेश्वरी और समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक विजय सिंह को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दोनों दोषियों ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था।

माना जाता है कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने मायावती की उस वक़्त मदद की थी, जब सपा के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के एक गेस्टहाउस में उनके कमरे को घेर लिया था। यह घटना तब घटी थी , जब 2 जून, 1995 को मायावती ने सपा-बसपा गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया, जो दिसंबर 1993 से सत्ता में थी।

वरिष्ठ भाजपा नेता राजेंद्र तिवारी ने अंग्रेज़ी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि शाम को, सपा कार्यकर्ताओं ने ग्राउंड फ्लोर पर कमरा नंबर 1 में उस गेस्टहाउस का घेराव किया, जहां मायावती ठहरी हुई थीं। उन्होंने कहा, ‘मायावती ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था और सपा कार्यकर्ता बाहर थे। फर्रुखाबाद से तत्कालीन भाजपा विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने मायावती को बचाया था । उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी से भी संपर्क किया था। जिसके बाद भाजपा मायावती को राज्यपाल भवन ले गई, बसपा को समर्थन दिया और मायावती ने अगली सुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।