पीएम मोदी ने 31 दिसंबर को ‘मन की बात’ में कहा था कि, “मैं जब इसकी गहराई में गया तो हैरान रह गया. आजादी के 70 साल के बाद भी बंदिशें लगाने वाले हम लोग ही हैं. दशकों से मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा था, लेकिन कोई चर्चा ही नहीं थी. यहां तक कि कोई इस्लामिक देशों में भी कोई नियम नहीं है. लेकिन भारत में मुस्लिम महिलाओं को यह अधिकार प्राप्त नहीं था. और मुझे खुशी है कि हमारी सरकार ने इस पर ध्यान दिया.”
अब सरकार के इस दावे की उस वक़्त पोल खुल गयी, जब यह बात सामने आई कि यह नियम सऊदी अरब सरकार ने बनाया है, नाकि भारत सरकार ने कोई बदलाव किया है.
- क्योंकि सच तो यह है, कि यह रोक सऊदी सरकार ने लगाई थी.
- अगर भारत सरकार अकेली महिला को हज पर भेजना चाहती तो भी उसे सऊदी नियम के कारण वहां की सरकार हज का वीजा नहीं देती.
- हर महिला को हज पर जाने के लिए महरम मर्द के बारे में पूरी जानकारी देनी होती है, तभी सऊदी सरकार उसको वीजा देती है. हज से जुड़े सारे कानून वही बनाते हैं, क्योंकि हज उनके देश में होता है.
- अब सऊदी सरकार ने नया नियम बनाया है कि 45 साल से बड़ी 4 या 4 से ज्यादा महिलाएं ग्रुप में बिना मर्द के जा सकेंगी.
- जबकि जानकार कहते हैं कि सऊदी सरकार ने यह नियम 2014 में बना दिया था, भारत सरकार ने उसे 3 साल की देरी से लागू किया है.
- लोग यह भी सवाल कर रहे हैं कि अगर सरकार ने यह नियम बनाया है तो फिर सिर्फ 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं क्यों जा सकती हैं?
- पिछले करीब डढ़े हजार साल से महिलाएं हज पर अकेली नहीं जा सकती थीं, उन्हें किसी महरम यानी बेटे, पिता, भाई या शौहर के साथ जाना होता था