कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए 22 मार्च को भारत सरकार द्वारा लॉकडाउन के आदेश के बाद से ही कंपनी ने निर्माण के कार्य को बंद कर दिया था। शुक्रवार ( 1 मई 2020 ) तक भारत में कोरोना से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 35000 पार गया है, वहीं 1147 मौतें हो चुकी हैं।
ज्ञात होकि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने भारत के ऑटो उद्योग पर सर्वाधिक दबाव डाला है, जो धीमी अर्थव्यवस्था और मांग की कमी से पहले ही जूझ रहा था। ऐसे में लॉकडाऊन के कारण ऑटोमोबाईल उद्योग बर्बादी की राह की ओर जाता नज़र आ रहा है। निर्माण बंद होने से लाखों मज़दूरों और अन्य ऐसे उद्योग जो ऑटोमोबाईल सेक्टर से जुड़े हुए हैं, उनके भविष्य पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
मारूती सुज़ूकी के बाद अब नज़र इस क्षेत्र की अन्य कंपनियों की रिपोर्ट पर भी होगी, जिनका कुछ इसी तरह रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। अर्थशास्त्री पहले ही कोविड 19 के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बात को लेकर चेता चुके हैं। दरअसल कोरोना के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था इसलिए भी ज्यादा प्रभावित होती नज़र आ रही है, क्योंकि कोरोना के पहले से ही यह चरमरा चुकी थी।लगभग पिछले 3 साल से भारतीय धीरे धीरे डांवाडोल हो रही है, कोविड 19 के कारण देशभर में लागू लॉकडाऊन ने जर्जर अर्थव्यवस्था में हथौड़े का कार्य किया है। इस दौरान पहले से ही खराब दौर से गुजर रहे ऑटोमोबाईल सेक्टर से बुरी खबर का आना अच्छे संकेत नहीं हैं।