गांधी परिवार का नाम सुनते ही आमूमन हर भारतीय के दिलो-दिमाग में कुछ चेहरे जरूर आते हैं जैसे- इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी और अब सोनिया या राहुल गांधी। पर एक और नाम है जो गांधी परिवार थोड़ा धूंधला सा नजर आता है। शायद इसलिये क्योंकि गांधी परिवार की मुखिया इंदिरा गांधी ने ही उनका तिरस्कार किया।
आधी-रात को मेनका गांधी जब प्रधानमंत्री आवास से निकली, तब पूरी दुनिया सास-बहू के बीच की नफरत नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंंत्री के परिवार का तमाशा देख रही थी। आज मेनका गांधी के जन्मदिन पर आइए आपको बताते हैं उनके बारे कुछ खास बातें-
दिल्ली में हुआ जन्म
मेनका का जन्म देश की राजधानी और राजनीती का केंद्र दिल्ली में 26 अगस्त 1956 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा लारेंस स्कूल से प्राप्त की। अपनी उच्च शिक्षा मेनका गांधी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से उच्च शिक्षा पूरी की। जिसके बाद उनकी मुलाकात गांधी परिवार के छोटे बेटे संजय गांधी से हुई, और दोनों ने 23 सितंबर 1974 को शादी भी कर ली।
कहा जाता है कि इंदिरा गांधी मेनका गांधी को कभी पसंद नहीं करती थीं, हालांकि उन्होंने संजय के रहते मेनका से कभी नाराजगी जाहिर नहीं की। पर संजय के निधन के बाद वो अपनी इस भावना को ज्यादा देर मेनका से छुपा नहीं पाईं।
कई बार हुई गाली-गलौच
संजय की मृत्यु के बाद इंदिरा मेनका से काफी खराब व्यवहार करने लगी थीं। लेकिन इंदिरा गांधी अकसर कहा करती थीं कि मेनका गांधी को तमीज से व्यवहार करना नहीं आता, वो बदतमीज हैं।
Thelallantop.com के हवाले से गांधी परिवार के करीबी रहे खुशवंत सिंह ने अपनी किताब ‘सच, प्यार और थोड़ी सी शरारत’ लिखा है कि एक बार श्रीमती मार्गरेट थैचर के सम्मान में औपचारिक दावत रखी गई थी।
इस दावत में सोनिया और राजीव गांधी को मुख्य अतिथि के साथ बैठाया गया, जबकि मेनका के बैठने की व्यवस्था अन्य स्टाफ के साथ की गई। मेनका से कहा गया कि “वह औरों का ध्यान बंटाती है और उन्हें मेज पर बैठने की तमीज नहीं है। एक दिन श्रीमती गांधी ने खुशवंत सिंह बुलवाया और कहा कि मेनका को समझाऊं ताकि वह बेहतर व्यवहार करें।”
जब खुशवंत सिंह ने मेनका से बात की तो मेनका ने शिकायत की, कि उसके साथ पैर की धूल की तरह बर्ताव किया जाता है। तब मेनका गांधी ने इंदिरा गांधी को ‘एक फटीचर बोरी’ (वन ओल्ड बैग) कहा तक कहा था।
इतना ही नहीं, इंदिरा गांधी ने भी मेनका को भला-बुरा कहने का कोई मौका नहीं छोड़ा। खुशवंत सिंह अपनी किताब में लिखते हैं कि जब भी मेनका गांधी इंदिरा गांधी से मिलती, हमेशा उससे कहा जाता कि ‘सब लोग तुमसे नफरत करते हैं- तुमने अपने पिता की हत्या की है, तुम्हारी मां कुतिया है।’ इन सभी झगड़ों का अंजाम जो हुआ, वो दुनिया ने देखा। इंदिरा गांधी के कहने पर मेनका ने आधी रात को प्रधानमंत्री निवास छोड़ दिया।
सिर्फ राजनेत्री नहीं हैं मेनका गांधी
मेनका गांधी अपने करियर के शुरूआती दिनों में एक मॉडल भी रह चुकी हैं। उन्होंने बॉम्बे डाइंग के लिए एक विज्ञापन भी शूट किया था। इसी विज्ञापन में मेनका को देखकर संजय गांधी उन्हें दिल दे बैठे थे।
कुछ समय तक बतौर पत्रकार भी काम किया था। पर उन्हें आज भी अधिकतर लोग संजय गांधी की पत्नी के रूप में ज्यादा जानते हैं। हालांकि उन्होंने कई किताबें भी लिखीं हैं। उनके लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कई बार छपते रहते हैं। आज मेनका गांधी भारत की प्रसिद्ध राजनेता एवं पशु-अधिकारवादी हैं।
कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए की थी पत्रिका की शुरूआत
जब मेनका गांधी और संजय गांधी की शादी हुई, उस समय मेनका महज 18 साल की थीं। शादी के बाद वह अकसर संजय के साथ राजनीतिक दौरों पर जाया करती थीं। साथ ही संजय और कांग्रेस पार्टी को मजबूती देने के लिए मेनका ने एक मासिक पत्रिका “सूर्या” का प्रकाशन भी शुरू किया था।
संजय की मौत के बाद इंदिरा और मेनका में जो विवाद हुआ उसके बाद मेनका ने खुलकर अपनी अलग राजनीतिक राह चुन ली। आज मेनका गांधी सत्ताधारी पार्टी बीजेपी से सांसद हैं। इसके अलावा मेनका गांधी के बेटे वरूण गांधी भी बीजेपी से सांसद हैं।