मार्च 1983 का वक्त था। गुटनिरपेक्ष देशों की अध्यक्षता क्यूबा के बाद भारत के पास आनी थी। विज्ञान भवन में भव्य समारोह चल रहा था। क्यूबा के तत्कालीन राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जिन्हें वो अपनी बहन कहते थे 140 देशों के प्रतिनिधियों के सामने गले से लगा लिया।
समारोह के बीच में फिदेल तक खबर पहुंची कि फिलिस्तीन मुक्ति संगठन के प्रमुख यासिर अराफात बेहद नाराज हैं और वापस लौटने वाले हैं । कास्त्रों ने तत्काल यासिर को होटल से बुलवाया और पूछा क्या हुआ? अराफात ने कहा पहले जार्डन के राष्ट्रपति को बोलने दिया गया यह ठीक नहीं हुआ है।
तब तक मौके पर इंदिरा जी पहुँच गई। उन्होंने कास्त्रो से कहा ‘देखिये सब ठीक से चले।‘ कास्त्रों ने धीमे से यासिर से पूछा ‘इंदिरा जी आपकी कौन हैं ? यासिर अराफात सिर झुकाकर बोले “मेरे बड़ी बहन, मैं उनके लिए कुछ भी कर सकता हूँ.” फिदेल कास्त्रों बोले मेरी भी बहन है, आप कहीं नहीं जा रहे हैं। अराफात अंत तक डंटे रहे। आप कल्पना करके देखिये कास्त्रो, अराफात और सद्दाम जैसे भाई बीच में इंदिरा गांधी। 80 के दशक में क्यूबा में लड़कियों में एक नाम रखने का फैशन चला था जानते है क्या ? इंदिरा !
चार्ल्स मूर ने ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमन्त्री मारग्रेट थ्रेचर की आत्मकथा लिखी है। मूर कहते हैं कि जब मिसेज गांधी और मिसेज और थ्रेचर मिलते थे तो केवल दो राष्ट्राध्यक्ष ही नहीं मिलते थे दो माएं मिलती थी। दोनों अपनी बातचीत में एक दूसरे के देश की समस्याओं के साथ साथ अपने बड़े होते बच्चों के बारे में बात किया करते थे। विदेश नीति ऐसे चलती है।
6 अप्रैल, 1975 की सुबह सिक्किम के राजमहल के गेट के बाहर भारतीय सैनिकों के ट्रकों की आवाज़ सुनाई दी, राजा चोग्याल दौड़ कर खिड़की के पास पहुंचे। चोग्याल के राजमहल को चारों तरफ़ से भारतीय सैनिकों ने घेर रखा था, वहां मौजूद 5,000 भारतीय सैनिकों को राजमहल के गार्डों को काबू करने में 30 मिनट का भी समय नहीं लगा। अब सिक्किम भारत का एक हिस्सा था। तिब्बत पर फूले नही समा रहा चीन इस कार्रवाई पर अवाक था, चोग्याल की अमेरिकन पत्नी इस हार के बाद उसे छोड़कर चली गई।
यह वो वक्त था जब अमेरिका में जुर्रत न थी कि वो भारत को धमका सके। जिन तानाशाहों से दुनिया भर की बड़ी ताकतें डरती थी वह सारे तानाशाह देश की प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी के आगे नतमस्तक रहा करते थे। इंदिरा जी के रहते यह कभी संभव नहीं था कि उस तरह की धमकी मिल सके जैसी धमकी कोविड के दौरान ट्रंप ने दी थी। लीबिया के तानाशाह शासक मुअम्मर गद्दाफी के बच्चों और पत्नी के साथ इंदिरा गांधी।
112 मर्सर स्ट्रीट, प्रिंसटन यही था सदी के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का पता। वह 1949 की सर्दियां थी जब पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और विजय लक्ष्मी पंडित आइंस्टीन से मिलने पहुंचे। बताते है कि इंदिरा गांधी का सवाल केवल एक था परमाणु बम के अस्तित्व में आने के बाद विश्वशांति कैसे सम्भव हो? मुझे नही लगता इंदिरा या नेहरू ने आइंस्टीन से नाली की गैस से चाय बनाने के बारे में कुछ पूछा होगा।