बचपन मे एक कहानी आप सभी ने सुनी होगी, सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी। एक किसान को एक अदभुत मुर्गी मिल जाती है, अदभुत’ इसलिए कि वह प्रतिदिन सोने का एक अंडा देती थी। एक दिन वह सोचता है, कि रोज-रोज एक-एक अंडा निकालना, इसका अर्थ यह हुआ कि इसके पेट में सोने के बहुत सारे अंडे होंगे। वह चाकू लाकर मुर्गी का पेट फाड़ देता है।
हमारे मोदी जी भी कुछ ऐसा ही करने जा रहे हैं, किसान को मोदी जी समझिए और मुर्गी को LIC….. हर साल LIC सरकार को अंडा देती है। वह अपनी पूंजी से हर साल गहरे संकट में पड़ी सरकारी कम्पनी को उबार देती है।
- 2014 में इसने भेल में हजारों करोड़ का निवेश
- 2015 में कोल इंडिया 7,000 करोड़
- 2016 इंडियन ऑइल में 8,000
- 2017 में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी और जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन में 13,000 करोड़ रुपये
- 2018 में जब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स में 2,900
- 2019 में IDBI बैंक में 19000 करोड़ रुपये
- 2019 में ही LIC ने राजमार्गों के विकास के लिए आगामी 5 सालो में सरकार को 25 लाख करोड़ रुपये का कर्ज देने का प्रस्ताव रखा है।
इसके अलावा हर साल सरकार को हजारों करोड़ का लाभांश अलग से, यानी हर साल सोने का एक अंडा दिया ही है। लेकिन, 2020 आते आते गलत आर्थिक निर्णयों के कारण देश की अर्थव्यवस्था की हालत इतनी खराब हो गयी है, कि मोदी जी सोचने पर मजबूर हो गए हैं। कि क्या साल दर साल एक एक अंडा निकालना ? एक बार पकड़ कर इसके पेट ही फाड़ डालते हैं।
LIC मोदी राज में अपने सबसे बुरे दिन देख रही है। कुछ दिन पहले ही खबर आयी है कि पांच साल में LIC का एनपीए दोगुना हो गया है। एलआईसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 30 सितंबर, 2019 तक कुल 30,000 करोड़ रुपये का सकल एनपीए है।
रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2019 में एलआईसी का सकल एनपीए 6.10 प्रतिशत रहा जो पिछले पांच वर्षों में लगभग दोगुना हो गया है। ऐसे कड़े वक्त में सरकारी विनिवेश की कोई योजना भी सफल नही हो रही है। 2019-20 में विनिवेश के जरिये 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन सितंबर 2019 तक सिर्फ 12,359 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है। इसलिए मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विनिवेश के लक्ष्य को बढ़ाकर 2.1 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसलिए अब मोदी जी कहना है ‘घर मे शादी है पैसे नही है’ इसलिए मुर्गी का पेट फाड़ो ओर सारे अंडे निकाल लो।
लेकिन एक बात और जान लीजिए यह मुर्गी ऐसे ही इतनी बड़ी नही हो गयी है। सालों साल इसे आप ही ने दाना डाल डाल कर इतना हष्टपुष्ट बनाया है, कि अब यह सोने के अंडे देने वाली मुर्गी बन गयी है। नेहरू जी के ज़माने मे जब यह मुर्गी पैदा हुई थी, तब 1956 मे इसकी शुरुआत महज 5 करोड़ रुपये की प्रारंभिक पूंजी से हुई थी। और आज 2020 में LIC का total asset 31.11 लाख करोड़ का है, भारत में किसी भी संस्था का asset lic के आसपास भी नहीं है ! Lic का fund size 28 लाख करोड़ रूपए का है।
एलआईसी हमारी ही जमापूंजी से इतनी बड़ी बनी है। देश के लाखों लोग प्रतिवर्ष अपनी खून पसीने की कमाई गई रकम में बचत से हजारों-लाखों रुपये निकालकर एलआईसी की पॉलिसी में डालता है। इस पैसे के सहारे उसका और उसके परिवार का भविष्य सुरक्षित रहता है। और आज उसी LIC को बीच बाजार में नीलाम किया जा रहा है। और आप और हम चुपचाप 303 सीट जीतकर आई पार्टी का दिखाया जा रहा तमाशा चुपचाप देख रहे हैं।