लालू यादव की कमी महसूस कर रही है,शोषितों और पिछड़ों की राजनीति

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मंडल कमीशन की सिफारिश लागू होने के बाद 13 जुलाई 2015 ही वह दिन था जब लालू जी ( Lalu Prasad Yadav)  ने सामाजिक रूप से मरे हुए बहुजनों को एक बार फिर मंडल VS कमंडल के मुद्दे पर ज़िंदा कर दिए थे। जुलाई 2015 के दिनों में सभी डिबेट मंडल और कमंडल पर होने लगे। युवा पीढ़ी जिन्होंने वीपी मण्डल, वीपी सिंह, अर्जुन सिंह, मुलायम सिंह यादव एवं लालू प्रसाद यादव के उस आंदोलन को नहीं देखा, वो इस बार करीब से मण्डल कमीशन (mandal commission)  की उस लड़ाई को फील कर रहे थे।
13 जुलाई 2015 को लालू प्रसाद यादव जी ने जातीय जनगणना (Cast wise population ) प्रकाशित करने को लेकर राजभवन मार्च करते हुए अपने हज़ारों के समर्थकों के साथ गाँधी मैदान से डकबंगला चौराहा, जीपीओ गोलम्बर होते हुए आर-ब्लॉक पहुंचे (वर्तमान में आर-ब्लॉक जगह को प्रतिबंधित कर दिया गया है पहले सारे धरने प्रदर्शन आर-ब्लॉक पर ही होते थे)। धरना स्थल आर-ब्लॉक से जनता को संबोधित करते हुए लालू जी ने कहा कि लड़ाई मंडल बनाम कमंडल की होगी। मंडल वाले कमंडल को फोड़ देंगे। मंडल वाले युद्ध को तैयार रहे।
उस समय देश के कोई भी नेता या सामाजिक कार्यकर्ता जातीय जनगणना को लेकर उतना मुखर नहीं थे जितना कि लालू प्रसाद यादव। लालू प्रसाद यादव जी ने कहा कि संविधान के द्वारा बहुजनों को आरक्षण प्राप्त है पर अब उनकी आबादी बढ़ी इसलिए जातीय जनगणना प्रकाशित कर उनका आरक्षण भी बढ़ाया जाए। लालू प्रसाद यादव जी ने उस संबोधन में यह भी कहे थे कि जातीय जनगणना प्रकाशित कर उनकी स्थिति भी बताई जाए।
आज वर्तमान समय में गैर-समाजवादी सरकार भाजपा का आतंक भरा राज है। हर सेक्टर में यह सरकार फेल है, जुमलों की सरकार अब आतंक का रूप ले चुकी है। फर्जी मुद्दों में भटकाना इनका परम शगल बन चुका है। आज संसद के अंदर और बाहर लालू जी की कमी साफ झलक रही है। राफेल डील को जिस तरह से भाजपा ने लूट का डील बनाया है उस पर किसी भी नेता की तल्ख टिपण्णी नहीं आई है।
लालू यादव आज मेन स्ट्रीम राजनीत में होते तो एक-एक रुपये का हिसाब सामने लाना पड़ता। बैंक का घोटाला श्री नरेन्द्र मोदी जी अपने लोगो के द्वारा करवा रहे है, खरबो रुपया देश का पैसा लेकर लोग भाग जा रहे हैं। लोकतंत्र हमेशा लोकलाज से चलता है, वर्तमान सरकार यह स्तर भी खो चुकी है। सेना के नाम पर देश के इमोशन के साथ खिलवाड़ किया जाता है। सेना के मनोबल को तोड़ने का कार्य किया जा रहा है।
मण्डल कमीशन ने अपना रिपोर्ट प्रस्तुत किया। अपनी सिफारिश दी। 13 सिफारिशों में सिर्फ 4 लागू हुए, उसमें भी अधूरा। 2009 के लोकसभा भाषण में लालू जी अधूरे मण्डल कमीशन के सिफारिसों को पूरा कराने की बात करते है। मुद्दा जनसरोकार से उठते हुए एक व्यापक चर्चा का विषय बनता है, लेकिन इसी बीच में लालू जी को कोर्ट-कचहरी में उलझा दिया जाता है। और कोई बोलने वाला नहीं है। मंडल ठंडे बस्ते में चला गया है। मंडल का फेल होने का अर्थ देश का फेल हो जाना है।
यह देश के 54 फीसदी लोगों की हक की बात है। बात सिर्फ सरकारी उपक्रम के नहीं है, यह देश के सभी संसाधनों के समुचित बंटवारे को लेकर है। लालू जी इस न्यायशील मांग को समझते थे और बताने का प्रयास करते थे। आज जरूरत है इस तरह के मांग को आगे रखने का। यह देश के विकास की बात है। एक बड़े जनसमूह को छोड़कर आप देश को आगे बढ़ाने की बात नहीं कर सकते है। आज लालू जी हमारे बीच सड़क और संसद में नहीं है। यह हमारे लिए अपार क्षति का मामला है। यह देश के लिए क्षति का मामला है। कमी महसूस होती है। वह सोंच और दर्शन की कमी महसूस होती है, जो लालू जी बहुत पहले समझ जाते थे।

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