अब ये बात धीरे धीरे साफ होते जा रही है, कि बुलंदशहर में बड़ी साम्प्रदायिक घटना को अंजाम देने की तैयारी थी। मांस खाने वाला व्यक्ति मांस खाता है, यूं खेतों में लटकाता नही, कि दूर- दूर तक नज़र आये। आप ज़रा सोचियेगा, कि कोई ऐसा गौमांस लटकाकर क्यों आफ़त मोल लेगा। जो वीडियो बुलंदशहर का वायरल हो रहा है, उसमें साफ़ देखा जा सकता है,कि गौवंश का सर टंगा हुआ है। यहीं से साफ हो जाता है, कि गौहत्या के नाम पर लोगों को भड़काकर साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की नीयत से यह कार्य किया गया था।
अब आते हैं, ज़रा सुबोध कुमार सिंह की हत्या के आरोप में जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई है, उनके बारे में भी जान लीजिए। इस पूरे मामले में जिस व्यक्ति को मुख्य आरोपी बनाया गया है, वह योगेश राज बुलंदशहर का बजरंग दल ज़िला संयोजक है। उसके साथ जिन अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है, उसमें भाजपा युवा मोर्चा का स्याना नगर अध्यक्ष शिखर अग्रवाल समेत 13 लोगों के नाम शामिल हैं। पुलिस ने कुछ अज्ञात लोगों के विरुद्ध भी केस दर्ज किया है।
जब स्याना के भाजयुमो अध्यक्ष की फ़ेसबुक वाल को देखा गया तो, उसकी वाल में 30 नवंबर की एक पोस्ट मिली जिसमें वो 2 दिसंबर 2018 को मीटिंग में शामिल होने के लिए संघ के स्वयं सेवकों से आह्वान कर रहा है। 2 दिसंबर को रखी गई यह मीटिंग और बजरंग दल ज़िला संयोजक योगेश राज के पुराने ट्वीट (जिसमें वो हज फ़्लाइट पर हमले की बात कर रहा है ) को पढ़कर योगेश के मंसूबों और आतंकी एवं दंगाई मानसिकता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
जब ये पूरा मामला सामने आया, और सुबोध कुमार सिंह की हत्या की बात सामने आई, तब एक चीज़ और सामने आई, वो ये कि बुलंदशहर के स्याना में इस घटना को लगातार बुलंदशहर में हुए इज्तिमा से जोड़कर दिखाने की साज़िश रची जाने लगी थी। कुछ लोगों ने ये अफ़वाह फैलाना शुरू किया कि इज्तिमा में रोज़ 25-30 गाय काटी गईं। अब इज्तिमे में तो कोई गया नही, जिसने सोशल मीडिया में जो पढ़ा उसे ही सच मानकर चलने लगा। जबकि इस खबर में किसी भी तरह की सच्चाई नही है, क्योंकि इज्तेमा स्थल में खुद प्रशासन व्यवस्था बनाने में लगा हुआ था।
अपनी दंगाई पत्रकारिता और अफ़वाह फैलाने के लिए मशहूर सुदर्शन न्यूज़ के सुरेश चौहानके ने इस मौके का भरपूर नाजायज़ फ़ायदा उठाया और स्याना के तनाव को बुलंदशहर इज्तिमे से जोड़ने की कोशिश की। पर सुरेश चौहानके के नापाक इरादों पर बुलंदशहर पुलिस ने ट्वीट कर अफवाह न फैलाने की चेतावनी देते हुए पानी फेर दिया। खैर सुरेश चौहानके की इस आदत से तो सब वाकिफ़ हैं, पर ताज्जुब हुआ जब बलरामपुर एसपी अमित कुमार भी अफ़वाह फैलाने वाली फ़ौज में शामिल हो गए। आईटी सेल की भाषा शैली वाला एक मैसेज जोकि बेहद भड़काऊ था, उसे व्हाट्सएप पर फॉरवर्ड करने लगे। उनके द्वारा फॉरवर्ड मैसेज का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद उत्तरप्रदेश गृहसचिव अरविंद कुमार ने उनको फ़टकार लगाई।
अब ज़रा टीवी बहस पर नज़र दौड़ाइये, न्यूज़24 में साक्षी जोशी के साथ बहस के दौरान भाजपा प्रवक्ता का रवैया हत्यारों को बचाने वाला था। यही रवैया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी देखा गया। उन्होंने शहीद सुबोध कुमार सिंह के हत्यारों को पकड़ने के आदेश देने की जगह पूरा ज़ोर गौकशी के आरोपियों को पकड़ने पर दिया। ज्ञात होकि ,जिन्हें गौकशी का आरोपी बनाया गया है, वो 10-11 साल के बच्चे हैं।
इस पूरे मामले योगी आदित्यनाथ सरकार की किरकिरी हो रही है। लोग अब ये कहते पाए जा रहे हैं, कि इस पूरे मामले में योगी सरकार लीपापोती करके गौहत्या के केस के तौर पर मोड़ देगी। इस संबंध में लोगों ने गोरखपुर में हुई बच्चों की मौत वाले केस को याद करते हुए ये बाते कहीं हैं। जबसे योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने हैं, तबसे उनका फ़ोकस विकास और जनता से जुड़े मुद्दों में न रहकर साम्प्रदायिक राजनीति से जुड़े मुद्दों पर ही देखा गया है।
अन्य राज्यों में जाकर चुनाव प्रकार के दौरान हिंदू- मुस्लिम बयानबाजी और भड़काऊ भाषण देने वाले योगी आदित्यनाथ, क्या एक हिंदू पुलिसकर्मी के हत्यारों को सज़ा दिलवा पाएंगे। या फिर इस हिंदू पुलिसकर्मी सुबोध कुमार सिंह के हत्यारों को धर्मरक्षक की तरह पेश करके उनका वैसा ही स्वागत करवाएंगे जैसा झारखंड में मोब लिंचिंग के आरोपियों का स्वागत किया गया था। यह सवाल इसलिए अहम हो जाता है, क्योंकि योगी आदित्यनाथ हमेशा से उस ओर क़दम बढ़ाते हैं, जहां से साम्प्रदायिकता को बढ़ावा मिले। वो अक्सर उस तरह के कार्यों की तरफ़दारी करते देखे गए हैं, जिससे हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण हो। अब देखना होगा कि योगी एक हिंदू को इंसाफ दिलाएंगे या फिर हिंदुत्व के नाम पर राजनीति और भड़काऊ बयानबाज़ी करेंगे?