अगर कमलनाथ मध्यप्रदेश में लगने वाले उद्योग धंधों में 70 प्रतिशत रोज़गार लोकल लोगों को देने की बात कर रहे हैं, तो इसमें गलत क्या है। किसी यूपी बिहार वाले से दुश्मनी नही है, पर क्या आपको अपने मुख्यमंत्रीयों और सरकारों से सवाल नही करना चाहिए, कि उद्योग धंधे और नौकरियां क्यों यूपी बिहार में लाई जातीं।
क्या आप योगी आदित्यनाथ और नीतीश कुमार से सवाल करेंगे, कि आखिर वो अपने राज्यों से पलायन नही रोक पा रहे हैं। आप नही करेंगे सवाल ? क्योंकि आपको कमलनाथ के बयान में क्षेत्रवाद दिखाया जा रहा है। आपको ये नही दिखाया जाता कि आखिर क्यों यूपी बिहार की जनता रोजगार की तलाश में अपने राज्यों को छोड़कर दूसरे राज्यों की तरफ पलायन करती है।
अब ये कहना कि पूरे देश में नौकरी का अधिकार है, इसमे कोई गलत बात नही। पर ये भी तो नही है कि आप अपने नेताओं से रोजगार की मांग न करें। फिर सरकारी नौकरियों में मूल निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता को समाप्त करवा दीजिये। आखिर आप अपने नेताओं से सवाल क्यों नही करते हैं।
ये बिहार भाजपा के अध्यक्ष नित्यानंद राय जो इसे यूपी बिहार के लोगों का अपमान बता रहे हैं। उनसे सवाल करिये कि आपकी पार्टी दोनों राज्यों में सत्ता पर है, आपने बेरोज़गारी दूर करने के लिए क्या कदम उठाए? सिवाए युवाओं को हिन्दू मुस्लिम, मस्जिद- मंदिर और गाय-गोबर की बहस में उलझाए रखा। क्या आपकी सरकारों ने मंदिर निर्माण से हटकर कभी रोज़गार की व्यवस्था पर ध्यान दिया।
एक यूपी के मुख्यमंत्री हैं योगी आदित्यनाथ, जिन्हें बस नाम बदलने में ही विकास नज़र आता है। कोई बाबा जी से जाकर पूछे कि सत्ता में आने के बाद उन्होंने कितना रोज़गार उपलब्ध कराया। उन्हें नाम बदलने , हिन्दू-मुस्लिम करने के अलावा कुछ और नज़र आता है? क्या युवाओं को रोजगार और शिक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने की तरफ कभी उनका ध्यान गया?
दरअसल पूरा देश यूपी बिहार के लोगों को रोजगार दे और इन दोनों राज्य की सरकारें पूरे देश को गाय,गोबर, मोब लिंचिंग और दंगे के रूप में साम्प्रदायिक माहौल देने का काम कर रही हैं। सोचिए और समझिए, अपने अपने राज्य की सरकारों से सवाल करिये।