यह सरकार भारत के इतिहास में सिर्फ झूठ बोलने ओर आंकड़ो को अपने हिसाब से मैनिपुलेट करने के लिए जानी जाएगी. कल (29 जनवरी 2019 को ) खबर आई कि वित्त वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 18 फीसद बढ़कर 28.25 लाख करोड़ रुपये हो गया, यह खबर सभी बड़े अखबारों की हेडिंग बन रही थी, लेकिन अंदर खबर पढ़ी तो पता चला कि ‘इसमें पिछले निवेशों का नया मूल्यांकन भी शामिल है’ यानी फिगर बढ़ा हुआ दिखे इसलिए आंकड़ों की बाज़ीगरी दिखा दी गयी.
इसी साल जुलाई में औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग ने जो आंकड़ों को जारी किए थे उसके अनुसार 2017-18 में एफडीआई प्रवाह मात्र तीन प्रतिशत बढ़कर 44.85 अरब डॉलर रहा है. यह पाँच सालो में सबसे कम विदेशी निवेश था.
लेकिन मोदी सरकार के पास 3 प्रतिशत की वृद्धि को 18 प्रतिशत बताने की अदभुत कला है. कमाल की बात तो यह है कि 2017-18 में रक्षा उद्योग मे मात्र 10 हजार डॉलर का एफडीआई आया था, जबकि 2013-14, 2014-15 और 2015-16 में रक्षा उद्योग क्षेत्र में क्रमश: 8.20 लाख डॉलर, 80 हजार डॉलर, एक लाख डॉलर का एफडीआई प्राप्त हुआ था. “यह मोदीजी के मेक इन इंडिया का कमाल है” – यह बात वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सीआर चौधरी ने बताई थी. यही मंत्री 23 जुलाई को लोकसभा के एक लिखित उत्तर में लोकसभा को सूचित कर रहे थे कि भारत में एफडीआई की वृद्धि दर 2017-18 में गिर रही है.
पिछले साल मोदी सरकार के झूठे आंकड़ो की पोल संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) ने एक रिपोर्ट ने खोली थी, उन्होंने बताया था कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 2016 के 44 अरब डॉलर की तुलना में 2017 में घटकर 40 अरब डॉलर रह गया. जबकि इस दौरान भारत से दूसरे देशों में होने वाला विदेशी निवेश दोगुने से भी अधिक रहा.
वैसे मोदीजी का एक ओर कमाल कल की इस रिपोर्ट से हमे पता चला है कि भारत में सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मॉरीशस से (19.7 फीसद) से आया है. इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और जापान का स्थान है.
यानी वही काले धन की राउंड ट्रिपिंग वाला मॉरीशस ओर सिंगापुर रुट मोदी सरकार के साढ़े चार सालो में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रमुख स्रोत बना हुआ है. जबकि अरुण जेटली जब वित्तमंत्री बने थे तब उन्होंने एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में यह साफ बोला था कि “हमने काले धन को रोकने के लिए मॉरीशस व साइप्रस रूट को बंद कर दिया है, तथा सिंगापुर रूट को भी बंद करने के लिए हमने सिंगापुर को चिट्ठी लिख दी है”.