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क्या मध्यमवर्गीय और गरीबो को लेकर असंवेदनशील हो चुकी है सरकार

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अब मोदी सरकार के मंत्री पूरी तरह से बेशर्मी पर उतर आए हैं
आज केन्द्रीय पर्यटन मंत्री अल्फोंज कन्ननाथनम ने कहा है कि जो लोग पेट्रोल डीजल खरीद रहे हैं वो गरीब नहीं है और ना ही वो भूखे मर रहे हैं, उनका कहना है कि सरकार को गरीबों का कल्याण करना है, और इसके लिए पैसे चाहिए
यानी देश के मध्यम वर्ग पर पेट्रोल डीजल के बढ़ते टैक्स का बोझ डाल कर कल्याणकारी योजनाओं का खर्च पूरा किया जा रहा है
कल धर्मेंद प्रधान नार्वे ओर आइसलैंड की पेट्रोल की कीमतों से भारत की कीमतों की तुलना कर रहे थे उन्हें भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान की कीमतें नही दिखाई दी
यह लेख इसलिए लिखा गया है कि आप समझे कि मोदी सरकार बड़े कारपोरेट ओर उद्योगपतियो को टैक्स में कितनी सहूलियत देती है और कल्याणकारी योजनाओं का सारा बोझ मध्य वर्ग पर ही डाला जा रहा है
इस तथ्य को जानकर बहुत से लोगो को आश्चर्य होगा लेकिन सच यही है कि सरकार नोटबन्दी जैसे निर्णय कर हर व्यक्ति को आयकर के दायरे में खींच लेना चाहती हैं लेकिन बड़ी कम्पनियो को तरह तरह की टेक्स में छूट देती है
जानी-मानी अर्थशास्त्री जयंती घोष ने कल दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़े उद्योगपतियों को दी जाने वाली कर माफी सवाल उठाते हुये कहा कि, कर संग्रह और कर का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार को नोटबंदी जैसे अर्थव्यवस्था को तबाह करने वाले कदम उठाने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा कि देश में कर की उच्चतम दर 30 प्रतिशत है जबकि अडानी अंबानी जैसे उद्योगपति 20 प्रतिशत कर दे रहे हैं
अंबानी जैसे बड़े उद्योगपतियों की कर माफी पर सवाल उठाते हुये उन्होंने कहा कि पिछले साल उद्योगों को दी गयी कर छूट सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.7 प्रतिशत पर रही जबकि वित्तीय घाटा इससे काफी कम रहा था। यानी सिर्फ इसी रकम से पूरे वित्तीय घाटे की भरपाई हो सकती थी
आपको शायद जयंती घोष की इन बातों पर यकीन नही होगा लेकिन यह सच है इसकी पुष्टि अन्य स्रोतों से भी आप कर सकते है इंडिया स्पेंड ने यह आंकड़े पब्लिश किये हैं साल 2015-16 में मोदी सरकार ने कॉरपोरेट सेक्टर को लगभग 76 हजार 857 करोड़ 7 लाख रुपए का टैक्स छूट प्रदान की थी
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी 2015 में पेश बजट में कॉर्पोरेट कर दर को चार साल में 30% से घटाकर 25% करने की घोषणा की थी जबकि राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने एक बार कहा था कि कंपनी कर में 1% कटौती करने से राजस्व में 18,000 से 19,000 करोड़ रुपये की कमी आती है
इंडियास्पेंड की रिपोर्ट नेशनल टैक्स डाटा के अनुसार, वित्त वर्ष 2015-16 में मोदी सरकार ने 15 हजार 80 मुनाफा कमाने वाली कंपनियों से किसी प्रकार का भी टैक्स नहीं लिया है. सरकार ने ऐसा कर चुकाने वालों को प्रोत्साहित करने के नाम पर किया.
कुछ कंपनियों ने मुनाफा तो कमाया पर सरकार की ‘टैक्स इंसेंटिव पॉलिसी’ का फायदा उठा कर किसी प्रकार का टैक्स नहीं चुकाया. इतना ही नहीं सरकार ने निजी कंपनियों को 2 लाख 25 हजार 229 करोड़ रुपये का टैक्स छूट भी दिया. देश में 10 लाख ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने आज तक इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है.
केंद्र में मोदी सरकार के आए तीन साल से भी ज्यादा समय बीत गए हैं पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इन विसंगतियों को अभी तक दूर नहीं किया है.
साल 2014-15 में 52 हजार 911 कंपनियां मुनाफ़े में थी, लेकिन किसी भी कंपनियों ने टैक्स का भुगतान नहीं किया. इसके साथ साल 2015-16 में बड़ी कंपनियों ने छोटी कंपनियों से भी कम टैक्स चुकाया
अब यह बड़ी कम्पनिया किस उद्योगपति की होगी आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता हैं
सरकार के आंकड़े के मुताबिक 46 फीसदी भारतीय कंपनियों ने 2015-16 में कोई मुनाफा नहीं कमाया. साल 2015-16 में कम से कम 43 फीसदी भारतीय कंपनियां घाटे में रही हैं. 47.7 फीसदी कंपनियों ने 1 करोड़ रुपए तक का मुनाफा कमाया है. टैक्स डेटा के अनुसार, करीब 6 फीसदी भारतीय कंपनियों ने 1 करोड़ रुपए से अधिक मुनाफा दर्ज कराया है.
पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और देश के जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी कहते हैं, ‘देखिए इससे साफ हो रहा है कि सरकार पावरफूल लोगों को रहत दे रही है. जो पावरफूल लोग नहीं हैं उन पर टैक्स का अतिरिक्त बोझ दे रही है.
यानी बड़े कारपोरेट को यह मोदी सरकार कर माफी के नाम पर बेजा फायदा पुहंचा रही है ओर उस कर माफी का पूरा भुगतान पेट्रोल डीजल पर बढ़ते हुए टेक्स द्वारा आम जनता से वसूला जा रहा है
इतना सब जान लेने के बाद भी आपके दिमाग की बंद खिड़की नही खुल रही है तो क्या कहा जा सकता है
यह लेख आज मीडिया विजिल में भी पब्लिश हुआ है

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