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क्या फ़र्क है, "वाजपेयी और वर्तमान भाजपा में " ?

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अटल बिहारी वाजपेयी संभवतः राजनीती के उस विरासत  पीढ़ी के अकेले ऐसा नेता हैं,जो  राजनीतिक और वैचारिक धुर विरोधी नेता को भी सम्मान देते थे. वो अटल जैसा ही इंसान के लिए ही कहा या सुना जा सकता है, जब संसद में एनडीए सरकार पर कांग्रेस को या अन्य दल को भाजपा पर हमला करना होता था तो अटल जी हस्तक्षेप करते तो धुर-विरोधियों को भी कहना पड़ता था कि, “अटल जी अच्छे हैं पर पार्टी अच्छी नहीं है.”
एकबार जब वाजपेयी ने कहा था मैं जिंदा हूं तो राजीव की वजह से इस पुरे वाकया जब का तब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेश दौरों और उपचार पर हुए खर्च को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच चल रही बयानबाजी के बीच एक पुराने दिग्गज नेता ने बताया कि एक समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को इलाज की जरूरत थी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल का सदस्य बनाकर उन्हें अमेरिका भेज दिया था.
कांग्रेस एक वरिष्ठ नेता बताया कि वाजपेयी ने इस बात का खुलासा वरिष्ठ पत्रकार करण थापर से हुई बातचीत में किया था. उन्होंने कहा कि साल 1991 में जब राजीव गांधी की हत्या कर दी गई तो पत्रकार ने वाजपेयी से संपर्क किया. उन्होंने पत्रकार को अपने घर बुलाया और कहा कि अगर वह विपक्ष के नेता के नाते उनसे राजीव गांधी के खिलाफ कुछ सुनना चाहते हैं तो वह एक शब्द भी उनके खिलाफ नहीं कह सकते क्योंकि आज अगर वह जीवित हैं तो उनकी मदद कारण ही जिंदा हैं.
वाजपेयी ने बेहद भावुक होकर यह किस्सा बयान किया था. उन्होंने कहा कि जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तो उन्हें पता नहीं कैसे पता चल गया कि मेरी किडनी में समस्या है और इलाज के लिए मुझे विदेश जाना है.
उन्होंने मुझे अपने दफ्तर में बुलाया और कहा कि वह उन्हें आपको संयुक्त राष्ट्र में न्यूयॉर्क जाने वाले भारत के प्रतिनिधिमंडल में शामिल कर रहे हैं और उम्मीद है कि इस अवसर का लाभ उठाकर आप अपना इलाज करा लेंगे. मैं न्यूयॉर्क गया और आज इसी वजह से मैं जीवित हूं.
फिर वाजपेयी बहुत भावविह्वल होकर बोले कि मैं विपक्ष का नेता हूं तो लोग उम्मीद करते हैं कि में विरोध में ही कुछ बोलूंगा. लेकिन ऐसा मैं नहीं करने वाला. मैं राजीव गांधी के बारे में वही कह सकता हूं जो उन्होंने मेरे लिए किया. आपको मंजूर है तो बताएं. नहीं तो मैं एक शब्द नहीं कहने वाला.
नाम नहीं छापने की शर्त पर यह किस्सा बयान करते हुए वरिष्ठ नेता ने कहा कि आज राजनीतिक पतन की स्थिति है. शीर्ष नेताओं के इलाज के खर्च पर भी उंगली उठाई जाती हैं. उन्होंने कहा कि कम से कम उस पार्टी को सोनिया गांधी के इलाज के खर्च पर सवाल नहीं उठाना चाहिए जिस पार्टी के संस्थापक नेता का उपचार उनके पति ने बड़प्पन दिखाते हुए कराया था.