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क्या अपने-अपने समुदाय पर बोलना ग़लत है ?

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अपने समुदाय के लिए बोलना बिलकुल गलत नही है,अपने समुदाय के लिए आवाज़ उठाना भी बिलकुल गलत नही,अपने समुदाय की भलायी के बारे में सोचना भी बिलकुल गलत नही,सिर्फ अपने समुदाय के लिए ही बोलना भी कोई गलत बात नही लेकिन हाँ अपने समुदाय के लिए बोलकर दूसरे समुदाय के बारे में गलत सोचना बिल्कुल गलत है,बस यही छोटा सा पॉइंट है जिसे समझ पाने में दिक्कत अक्सर सामने आती है।
ये सबसे अहम चीज़ है जिसमे अपने समुदाय के लिए सोचने से हम बचते है क्योंकि हम खुद को बेहतर दिखाना चाहते है और अगर सोचते है तो दूसरे समुदाय के बारे में गलत सोच लेते है बस इसी के बीच की जगह है जहाँ पर बेहतरी के लिए काम किया जा सकता है और यही डॉ भीम राव अम्बेडकर ने यही किया की अपने समुदाय के बारे में सोचकर उसका भला करने के काम किया,हाँ गलत को गलत कहा गया लेकिन उनके द्वारा पूरी तरह नफरत वाला कांसेप्ट खत्म कर दिया गया था।
यही वजह थी की बेहतरी देखने में आयी,लेकिन मुस्लिम बुद्धजीवी वर्ग,लेखक और पत्रकार अपनी मर्ज़ी से,दूसरे के दबाव में या न चाहते हुए भी बचते है अपने समुदाय के लिये आवाज़ उठाने से ,बेहतरी करने से बचता है और झिझकता भी है,हालाँकि इसमें पूरी तरह से दोष मुस्लिमों का नही है थोड़ी गलती इस समुदाय के बुद्धजीवी को भी नही है हालात कुछ ऐसे भी रहे है ।जहां कोई ज़रा सी बात पता नहींकिया बन कर रह गयी है।
लेकिन हाँ ये एक बड़ी वजह है और इसी फेहरिस्त में मुस्लिम “नेता” भी आते है जो ज़बरदस्ती बेहतर करने के लिए ही सही अपने समुदाय का नुकसान कर बैठतें है। जो सरकारों तक वो बात पहुंचाते ही नही है जो अहम है। वहां तलवार से नाखून काटा जाता है यानी छोटी सी बात के लिए शोर ज़्यादा होता है और मुख्य मुद्दा गायब हो जाता है।
लेकिन हाँ इस तरह की बातचीत और विवाद पर एक तबक़ा है जो अक़सर इस तरह की बातचीत पर विवाद करता है,जैसे जब बात शिक्षा की आती है तो उसमें “मुशायरें” जैसी चीज़े जोड़ दी जाती है,वहाँ से ही हर एक को मौके मिलते है जिसमे अपने समुदाय के बारे में बात करना धोखा सा लगता है।
शायद वो इस तरह की बातचीत को बुरा समझता है या वो भी शायद अपनी समुदाय मोहब्बत दिखा रहा होता है वरना अपने समुदाय के लिये बेहेतरी सोचना किसी भी तरह से गलत नही है बशर्तें वो पूरी ईमानदारी से भी हो,ज़िम्मेदारी से भी हो.

असद शेख
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