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जानें- किन 20 MLA की सदस्यता पर लटकी तलवार?

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इलेक्शन कमीशन ने आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को लाभ का पद मामले में अयोग्य घोषित करार दिया है और उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी है. अब फैसला राष्ट्रपति को करना है. अगर राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश पर इन विधायकों की सदस्यता रद्द करते हैं तो 70 स दस्यों वाली दिल्ली विधान सभा में आप के 46 विधायक रह जाएंगे. हालांकि, इससे अरविंद केजरीवाल सरकार की चाल पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन नैतिक रूप से केजरीवाल सरकार के लिए यह एक बड़ा झटका है. अगर इन विधायकों की विधायकी खत्म होती है तो दिल्ली में फिर से 20 सीटों पर उप चुनाव होंगे. ऐसे में सभी सीटों को बरकरार रख पाना केजरीवाल के लिए उससे भी बड़ी चुनौती होगी.

बता दें कि इस मामले में चुनाव आयोग ने कुल 21 विधायकों को नोटिस भेजा था लेकिन राजौरी गार्डेन से विधायक जरनैल सिंह ने इस्तीफा दे दिया था. लिहाजा, अब जिन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई है उनमें केजरीवाल सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत के अलावा तेज-तर्रार महिला नेता अलका लांबा, आदर्श शास्त्री, जरनैल सिंह (तिलक नगर) भी शामिल हैं. इनमें से कैलाश गल्ह्लोत तो केजरीवाल सरकार में मंत्री भी है.

जाने कौन है वो 20 विधायक

  1. आदर्श शास्त्री, द्वारका
  2. जरनैल सिंह, तिलक नगर

  3. नरेश यादव, मेहरौली

  4. अल्का लांबा, चांदनी चौक

  5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा

  6. राजेश ऋषि, जनकपुरी

  7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर

  8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर

  9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर

  10. अवतार सिंह कालका, कालकाजी

  11. शरद चौहान, नरेला

  12. सरिता सिंह, रोहताश नगर

  13. संजीव झा, बुराड़ी

  14. सोम दत्त, सदर बाज़ार

  15. शिव चरण गोयल, मोती नगर

  16. अनिल कुमार बाजपेयी, गांधी नगर

  17. मनोज कुमार, कोंडली

  18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर

  19. सुखबीर दलाल, मुंडका

  20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़

ये कहता है कानून 
एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार ने मार्च, 2015 में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था. इसको लेकर प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी और कांग्रेस ने सवाल उठाए थे. इसके खिलाफ प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया था कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद होनी चाहिए. दिल्ली सरकार ने दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन ऐक्ट-1997 में संशोधन किया था. इस विधेयक का मकसद संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से छूट दिलाना था, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नामंजूर कर दिया था.

क्या कहा आप ने 

आप नेता  सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें इस बारे में अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है. सभी सूचनाएं मीडिया के हवाले से मिल रही हैं. भारद्वाज ने कहा कि आप के किसी भी विधायक के पास लाभ को कोई पद नहीं था. न ही उन्हें कोई बंगला या गाड़ी मिली थी और न ही उन्हें किसी तरह की कोई सैलरी मिली थी. आप नेता ने यह भी कहा कि चूंकि हाई कोर्ट ने इन विधायकों को संसदीय सेक्रेटरी मानने से ही इनकार कर दिया, ऐसे में इनकी सदस्यता रद्द करने का सवाल कहां से उठता है. सौरभ भारद्वाज ने इस मामले में केंद्र की मोदी सरकार और मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोति को ही निशाने पर ले लिया. उन्होंने जोति के गुजरात सरकार में मोदी के सीएम रहने के दौरान अफसर रहने का जिक्र किया। साथ ही कहा कि सोमवार को रिटायर हो रहे चुनाव अधिकारी ‘मोदी जी का कर्ज’ उतार रहे हैं.
 

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