आखिर क्यूं शम्मी कपूर ने लिपस्टीक से भर दी थी गीता बाली की मांग 

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कपूर खानदान ने बॉलीवुड को कई सुपरस्टार्स दिए हैं। ऐसे सुपरस्टार जो लड़कियों के दिलों पर राज किया करते थे। जिनमें एक नाम था शम्मी कपूर। अपने थिरकने वाले अंदाज से शम्मी हिंदी सिनेमा में अपनी अलग छाप छोड़ी है। अपने पूरे एक्टिंग करियर में हमेशा उन्होंने आसमान की ऊंचाईयों की ही छूआ। शम्मी कपूर पृथ्वीराज कपूर के बेटे और हिंदी सिनेमा के “शो मैन” कहे जाने वाले राजकपूर के छोटे भाई थे। आज हम उनकी बारे में कुछ ऐसे अनसुने किस्से बताने जा रहे हैं, जो शायद ही आप जानते होंगे। 

शमशेर था असली नाम 

बदन पे सितारे लपेटे हुए” जैसे गानों पर दर्शकों को थिरकाने वाले शम्मी कपूर का पूरा नाम शमशेर राज कपूर था। उनका जन्म 21 अक्टूबर 1931(मुम्बई) में हुआ था।शम्मी कपूर पृथ्वीराज कपूर की दूसरी औलाद थे, वहीं उनके बड़े भाई राज कपूर और छोटे भाई शशि कपूर थे। जन्म के बाद के आठ साल उन्होंने कलकत्ता में बिताए और बाद में वो परिवार के साथ मुम्बई लौट शिफ्ट हो गए। शम्मी ने फ़िल्मी जगत में अपना पहला कदम 1948 में रखा, जबकि उनकी पहली फ़िल्म “जीवन ज्योति” 1953 में रिलीज़ हुई थी।

भारत के “एल्विस प्रेस्ली” कहे जाते थे शम्मी कपूर

शम्मी कपूर बॉलीवुड में अपने बेबाक और जोशीले अंदाज़ के लिए जाने जाते थे। फिल्मों में उनके चार्मिंग लुक और खुद इंवेंट किये हुए डांसिंग स्टेप के लोग दीवाने हुआ करते थे। फ़िल्म जंगली (1961) के “याहू” वाले अंदाज़ ने उन्हें स्टार बना दिया था। उन्हें डांस और फैशन का अच्छा सेंस था, जिसके लिए उनकी तुलना “एल्विस प्रेस्ली” से की जाने लगी थी। इतना ही नहीं, शम्मी को “रिबेल स्टार” भी कहा जाने लगा। 

बॉलीवुड के प्लेबॉय के तौर पर मशहूर थे

अपनी शुरुआती फिल्मों में शम्मी पेंसिल लुक वाली मूछों के साथ साधारण अभिनेता दिखते थे। वहीं उनकी शुरुआती फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल भी नहीं दिखा पाईं। लेकिन, 1957 की फ़िल्म “तुमसा नहीं देखा” के लिए शम्मी ने,  न केवल अपने बाल कटवाए वहीं अपनी मूछों को भी हटा दिया। इसके बाद तो फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी। और इस फिल्म से शम्मी के लिए सफ़ल फिल्मों को दौर शुरू हो गया। इसके बाद फिल्मों में शम्मी कपूर प्लेबॉय के तौर मशहूर हो गए।

जब लिपस्टिकसे भरी थी मांग 

“कॉफी हाउस” की शूटिंग के दौरान शम्मी और अभिनेत्री गीता बाली की मुलाकात हुई थी। दोनों ने “रंगीन रातें” में भी साथ काम कर चुके थे। साथ काम करते हुए ही दोनों काफी करीब आ गए। बस फिर क्या था शम्मी और गीता बाली को एक दूसरे से प्यार हो गया। हमेशा गीता बाली को प्यार जताने वाले शम्मी को झटका तब लगा, जब गीता बाली ने शम्मी से तुरंत शादी करने को कहा। पहले तो उन्हें ताज्जुब हुआ, पर जोनी वॉकर की बात मानकर दोनों ने मंदिर में जाकर शादी (1955) कर ली। लेकिन मंदिर में सिंदूर नहीं मिला और शम्मी ने अपने फिल्मी अंदाज में गीता के पर्स से लिपस्टिकनिकाल कर उनकी मांग ही भर डाली।

चाय बागान में मैनेजर बनने को तैयार थे शम्मी

एक वक्त ऐसा भी आया था जब शम्मी कपूर इंडस्ट्री छोड़ कर असम में चाय बागान में मैनेजर बनने तक के लिए तैयार थे। ये तब की बात है जब उनकी फिल्में एक के बाद एक फ्लॉप हो रही थी और उनका अपकमिंग प्रोजेक्ट “तुमसा नहीं देखा” चल रहा था। गीता बाली से फ़िल्म को लेकर शम्मी ने कहा था कि अगर फ़िल्म नहीं चली तो इंडस्ट्री छोड़ कर असम जाकर चाय के बागान में मैनेजर बन जाऊंगा। गीता बाली ने उन्हें समझाया और हौंसला रखने की बात कही, फ़िल्म हिट रही और शम्मी के लिए लाइफ का टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुई।

भाई राजकपूर ने लगाई थी फटकार

अशोक कुमार के साथ काम करने की चाहत शम्मी को हमेशा से थी। शम्मी कपूर को ये मौका एक पान मसाले की ऐड के वक्त मिला। शम्मी ने मौका छोड़ा नहीं और “पान पराग”का एडवरटाइज कर लिया। ये ऐड उस समय इतना फेमस हुआ कि लोग शम्मी को देखकर “पान पराग” चिल्लाने लगते थे। अपनी यूट्यूब वीडियो में एक वाक्या बताते हुए शम्मी कहते है कि हम पूरा परिवार हॉन्गकॉन्ग एयरपोर्ट पर थे, मुझे देखते ही लोग पान पराग (Pan Parag) चिल्लाने लगे जिसे सुनकर बड़े भाई राज कपूर बहुत गुस्सा हो गए और उन्होंने एयरपोर्ट के कोने में ले जाकर  मुझे बड़ी फटकार लगाई।

“ब्रह्मचारी” के लिए मिला था फिल्मफेयर

1953 में जीवन ज्योति फ़िल्म से डेब्यू करने वाले शम्मी कपूर ने आगे चलकर तुमसा नहीं देखा (1957), जंगली(1961), प्रोफेसर(1962), राजकुमार(1964), एन इवनिंग इन पेरिस (1968), बदतमीज़(1968), कश्मीर की काली(1964) और प्रिंस (1969) जैसी ब्लॉक बास्टर फिल्में की थीं। वहीं सुपरस्टार वैजंतीमाला, शर्मिला टैगोर, साधना और सायरा बानो के साथ भी पर्दे पर नज़र आए। उन्हें ब्रह्मचारी के लिए 1968 में बेस्ट एक्टर फिल्मफेयर और विधाता के लिए 1982 में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए अवॉर्ड मिला। इसके अलावा उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट के लिए भी कई अवॉर्ड मिल चुके हैं।

किडनी फेल होने से हुई थी मौत

14 अगस्त 2011 को किडनी फेल होने के कारण शम्मी कपूर ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इस दुनिया से अलविदा कह दिया। उनकी आखिरी फ़िल्म इम्तियाज अली निर्देशित “रॉकस्टार” थी। इसमें उन्होंने अपने पोते रणबीर कपूर के साथ सहयोगी के रूप में काम किया था। शम्मी कपूर स्पोर्टिंग एक्टर के तौर पर सैंडविच, प्रेम रोग, प्रेम ग्रंथ और विधाता जैसी फिल्मों में नज़र आए थे।