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अर्थव्यवस्था पर यशवंत सिन्हा के लेख के बाद घिरी मोदी सरकार

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बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार को जमकर कोसा. अंग्रेजी अख़बार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में ‘मुझे अब बोलने की आवश्यकता है’ शीर्षक से लिखे आर्टिकल में सरकार की वित्तीय नीतियों की जमकर आलोचना की.उन्होंने सरकार की डीमोनेटाइजेशन से लेकर जीएसटी पर अपनी बेबाक राय प्रकट की है. खास बात यह है कि इसी सरकार के वित्तीय विभाग में उनके बेटे जयंत सिन्हा मंत्री रह चुके है.

पूर्व वित्त मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा

क्या है उनके आर्टिकल की दस मुख्य बातें :-

  • मैंने इतनी इकोनॉमिक विफलता के बावजूद भी आवाज नहीं उठाई तो मैं अपने देश के कर्तव्य में विफल रहूँगा. और ये मेरे अकेले की आवाज नहीं बल्कि बहुत सारे बीजेपी के नेताओं की भी आवाज है, जो किसी डर से बोल नहीं सकते.
    अमृतसर की जनता द्वारा नकारने के बावजूद भी उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया. जबकि ऐसा अटल बिहारी बाजपेयी ने जसवंतसिंह और प्रमोद महाजन को लोकसभा चुनाब हारने के बाद मंत्री बनाने से मना कर दिया था.
  • जेटली लकी वित्त मंत्री है, जिनको तेल की अंतराष्ट्रीय कम कीमतों का लाखों करोड़ रूपये का तोहफा मिला. इस तोहफे को उन्होंने इकॉनमी को अच्छी करना तो दूर की बात स्थिति को और भी बिगाड़ दिया.
  • आज इकॉनमी की स्थिति बेहद ख़राब है. नीजी निवेश कम हो गया, औद्योगिक उत्पादन संकट में है और सर्विस सेक्टर की दर भी कम हो गयी.
    डीमोनेटाइजेशन पूरी तरह विफल साबित हुआ और इकॉनमी पर जले पर नमक वाला काम किया.
  • जीएसटी के ख़राब क्रियान्वयन ने व्यापारियों की हालात खराब कर दी है. इनकी वजह से लाखों लोग बेरोजगार हो चुके है.
  • जीडीपी की दर 5.7 प्रतिशत हो चुकी है . वो भी तब जब सरकार ने जीडीपी कैलकुलेशन का फार्मूला बदल दिया है. जबकि वास्तविक दर तो 3.7 प्रतिशत है.
  • जेटली को अत्यधिक मंत्रालय दिए जाने से उन्होंने कभी इस समस्या पर ध्यान ही नहीं दिया.
    मानसून की स्थिति भी अच्छी नहीं रही है तो इससे ग्रामीण इलाकों की स्थिति और बिगड़ेगी.
    देश की 40 मुख्य कंपनियां आज दिवालिया होने के कगार पर है. और टैक्स कलेक्शन को भी बढ़ा-चढाकर दिखया गया.
  • प्रधानमंत्री मोदी कहते है कि उन्होंने गरीबी को करीब से देखा है. उनके वित्त मंत्री अब सबको गरीबी दिखने के लिए ओवरटाइम कार्य कर रहे है.
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