बॉलीवुड अभिनेत्री और फिल्म निर्माता नंदिता दास अब तक के अपने फिल्मी कैरियर में कई बेहतरीन किरदारों और कहानियों को बखूबी पर्दे पर उतार चुकी हैं. उन्होंने अपनी फिल्मों में कई चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं को निभाया है.
फिल्म निर्माता एवं अभिनेत्री नंदिता दास ने कहा है कि सेंसर बोर्ड के फिल्मों के प्रमाणन के सिद्धांत में खामी है क्योंकि कुछ मुट्ठीभर लोग यह निर्णय नहीं कर सकते हैं कि पूरा देश क्या देखना चाहता है.
अभिनेत्री नंदिता दास का यह बयान देश के मौजूदा माहौल को लेकर आया. उन्होंने कहा, “मैं नहीं जानती कि आज फिराक (2008) या फायर (1996) जैसी फिल्में बनाई जा सकती हैं या नहीं.”
नंदिता ने बुधवार की देर शाम को टाटा स्टील कोलकाता लिटेररी फेस्टिवल में कहा कि, “यह कलाकारों, लेखकों के लिए मुश्किल वक्त है, लेकिन यह अधिक जिम्मेदार बनने का समय है और कुछ होने से पहले कम से कम खुद सेंसर होते हैं. दुर्भाग्य से वातावरण ऐसा है कि लोग डर से बाहर हो रहे हैं”.
नंदिता दास ने आगे कहा कि ऐसे दौर में कलाकारों और लेखकों की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया ने चीजों को लोकतांत्रिक बनाया है और लोगों को अपनी असहमति जताने का विकल्प दिया है, फिर भी हिंसा का सामना करना पड़ रहा है.
उनका यह भी कहना था कि केवल कुछ लोग हिंसा करते हैं, लेकिन सच्चाई यह भी है कि ये कुछ लोग लगातार बढ़ते जा रहे हैं.
अभिनेत्री ने कहा, ‘अभी प्रमाणन को लेकर ज़्यादा मुद्दे सामने आ रहे हैं. कला के विकास के लिए आज़ादी की ज़रूरत होती है. सेंसर बोर्ड और फिल्म के प्रमाणन के सिद्धांत अपने में ही दोषपूर्ण है. कैसे कुछ मुट्ठी भर लोग यह निर्णय ले सकते हैं कि एक राष्ट्र के तौर पर हम लोग क्या देखना चाहते हैं.’