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जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद आप क्या सोचते हैं ?

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देश को आज़ाद हुये 70 साल हो गए हैं, पर आज से भारत के इतिहास में 12 जनवरी 2018 के दिन खास हो गया है। ये भारत में पहली बार हुआ है, जँहा देश की सर्वोच्च अदालत के चार वरिष्ठ जजों में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जहाँ पर जजों ने न्यायपालिका में बढ़ रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओ पर अपनी बात रखी।
यह प्रेस कांफ्रेंस जस्टिस चेलमेश्वर के घर पर आयोजित की गयी थी। जिसमें जस्टिस चेलमेश्वर के अलावा जस्टिस रंगन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ मीडिया से रूबरू हुए। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद सिनियर मोस्ट जज चेलमेश्वर ने मीडिया के सामने अपनी रखते हुए कहा,प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाने का फैसला हमने मजबूरी में लिया है आगे कहा कि देश का लोकतंत्र खतरे में है। सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन सही से काम नही कर रहा है।
उन्होंने कहा कि हमने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नही सुनी। हम चारो जजों ने चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा था,जो कि प्रशासन के बारे में था। हमने उसमे कुछ मुद्दे उठाये थे। उन्होंने मीडिया से कहा कि चीफ जस्टिस पर देश को फैसला करना चाहिए हम बस देश का क़र्ज़ अदा कर रहे  हैं।
हम नही चाहते कि 20 साल बाद हम पर कोई आरोप लगे। उन्होंने अपनी बात रखते हुए देश का लोकतंत्र खतरे में बताया और देश की जनता को सच से रुबरु किया। इस बात में कोई दोराहा नही की जब देश का सबसे भरोसेमंद और शीर्ष विभाग ही अपने हाथ खड़े कर ले, तो लोकतंत्र पूर्ण रूप से ख़तरे में पड़ ही जायेगा। \
लेकिन ये प्रेस वार्ता बहुत सारे सवाल खड़े कर रही है। कि जिस देश में आज तक ऐसी कोई प्रेस कांफ्रेंस नही हुई, वँहा आज अचानक देश की न्यायपालिका को देश की जनता के सामने बोलना पड़ रहा है, कि उनका लोकतंत्र टूटता जा रहा है। जो विभाग दूसरों पर सवाल करती थी आज उसकी निष्ठा पर सवाल उठ रहे है।

शगुफ्ता ऐजाज़