भारत में झोलाछाप डॉक्टरों की कमी नही है.ग्रामीण क्षेत्रों में इन झोलाछाप डॉक्टरों ने अपना व्यापार फैला रखा है. ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों की अशिक्षा और गरीबी का फायदा उठाकर इनका धंधा खूब फल फूल रहा है. ग्रामीण भी सस्ते इलाज के चक्कर में इन्ही के पास पहले जाते हैं. जब बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है तब वे सरकारी या किसी बड़े डॉक्टर के पास जाते हैं. हालांकि इन डॉक्टरों की सँख्या भी काफी कम है.प्रशासन का क्या कहें वह भी इस ओर उदासीन ही है.
झोलाछाप डॉक्टरों का लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ जारी है.उत्तर प्रदेश के उन्नाव में दस रुपए में इलाज करने वाले झोलाछाप ने कई मासूम जिंदगियो को लाइलाज बीमारी का शिकार बना दिया. ये मामला उन्नाव के बांगरमउ इलाके का है. यहां स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए कैंपों में 38 लोगों में एचआइवी की पुष्टि हुई है.जिसके बाद सभी की आइसीटीसी सेंटर में काउंसिलिंग की गई.
राजेंद्र यादव नाम का ये झोलाछाप डॉक्टर अपने पास आने वाले मरीजों पर संक्रमित सिरिंज का इस्तेमाल करता था. उन्नाव के प्रमुख मेडिकल अधिकारी डॉक्टर एसपी चौधरी ने बताया है कि राजेंद्र यादव ने अपनी बाइक को ही अपना क्लीनिक बनाया हुआ था और इसी पर बैठकर वह अलग-अलग गांव में जाता था.
शासन ने मांगी रिपोर्ट
उन्नाव में कथित तौर पर संक्रमित इंजेक्शन से कई लोगों के एचआईवी पॉजिटिव होने के मामले को शासन ने गंभीरता से लिया है. स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. पद्माकर सिंह ने उन्नाव के सीएमओ को सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं. उन्होंने पूरे मामले की रिपोर्ट भी मांगी है.साथ ही प्रदेश भर में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं.
घेरे में स्वास्थ्य विभाग
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी सामने आ रही है. कुछ महीने पहले सीएमओ ऑफिस में झोलाछाप की शिकायत की गई थी, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई. क्षेत्र के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इलाके में ठीक से जांच होने पर सैकड़ों पॉजिटिव केस मिलने की आशंका है. कानपुर में अब तक इलाज के लिए 40 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है, जबकि पांच साल पहले यहां एचआईवी का केवल एक केस मिला था.
इस मामले के सामने आने के बाद से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा है कि मामले की जांज की जा रही है. इस मामले के दोषी और बिना लाइसेंस के प्रैक्टिस कर रहे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
दस रुपये में लगाता था इंजेक्शन
बांगरमऊ क्षेत्र में संक्रमण फैलाने वाला झोलाछाप सिर्फ 10 रुपये में लोगों को इंजेक्शन लगाता था. आसपास के कई गांवों के लोग सामान्य बीमारियों में दवाएं लेने के बजाय उससे इंजेक्शन लगवाना पसंद करते थे. वह एक सिरिंज को कई बार इस्तेमाल करने के बाद सिर्फ उसकी सुई बदलता था. कमेटी की जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि पडोस के गांव का रहने वाला झोला छाप डाक्टर राजेन्द्र कुमार सस्ते इलाज के नाम पर एक ही इंजेक्शन लगा रहा था. इसी कारण एचआईवी के मरीजों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है. झोलाछाप डाक्टर राजेन्द्र कुमार के खिलाफ अब बांगरमऊ कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया है.
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