”मेरी सी-स्कीम में रमेश मार्ग स्थित एक्सिस बैंक की चेस्ट ब्रांच में ड्यूटी थी। मैं रात करीब 2 बजे बैंक पहुंचा। दो और पुलिसकर्मी रतिराम और मानसिंह रेस्ट रूम में थे. बैंक का निजी सुरक्षा गार्ड प्रमोद मेनगेट पर तैनात था. रात करीब 2:30 बजे बैंक के बाहर मेनगेट से किसी के कूदकर अंदर आने और कुछ टूटने जैसी आवाज सुनी तो मैं खिड़की से चिल्लाया-कौन है? बाहर झांककर देखा तो 4-5 लोग नजर आए। पहले तो मैं घबरा गया। लेकिन खुद को संभालते हुए थोड़ा बाहर आकर देखा तो मुझे 10 से ज्यादा लोग नजर आए। सभी ने चेहरों को रूमाल, कपड़े व मंकी कैप से ढंका हुआ था। उनके हाथों में हथियार भी थे। ये लोग बैंक का मेनगेट फांदकर अंदर आ गए और बैंक बिल्डिंग का चैनल गेट भी खोल लिया था। बैंक का गार्ड प्रमोद कहीं नजर नहीं आ रहा था। मैं स्थिति को भांप गया. मुझे फायर करना ही उपाय सूझा। मैंने बदमाशों को ललकारा और हवाई फायर किया। बदमाश हड़बड़ा गए और भाग गए। तब मैं बिल्डिंग से बाहर निकला और प्रमोद के हाथ-पांव खोलकर उसे अंदर ले आया. पूरा घटनाक्रम मुश्किल से 10 मिनट में हो गया. मैंने तुरंत कंट्रोल रूम को फोन किया. करीब 5 मिनट में पुलिस गश्ती दल मौके पर पहुंच गया.
आजतक के अनुसार, जयपुर के जी-स्कीम एरिया में स्थित बैंक में देर रात हथियारों से लैस बदमाशों ने धावा बोला. सभी लुटेरों ने मुंह ढांक रखा था. करीब 12 से 13 की संख्या में आए बदमाशों ने पहले बैंक के मेन गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी से मारपीट की और उसके हाथ-पैर बांध दिए.
बदमाश शटर खोलने की कोशिश कर ही रहे थे कि अंदर मौजूद कॉन्सटेबल सीताराम (27) ने फायरिंग कर दी, जिसके बाद सभी बदमाश भाग खड़े हुए.
यह पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई. इस बारे में एसीपी (क्राइम) प्रफुल्ल कुमार ने आजतक को बताया कि बदमाश जब बैंक के शटर को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे तो अंदर से उन्हें सीताराम ने देख लिया. उसने बदमाशों पर फायरिंग शुरु कर दी और मौका पाते ही अलार्म बजा दिया. इसके कुछ मिनटों के भीतर ही बैंक में बड़ी तादाद में पुलिसकर्मी पहुंचे. पुलिस कंट्रोल रूम को भी सूचना दे दी गई. जिससे शहर में नाकाबंदी कर दी गई. लुटेरों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जा रहा है.
जहां लूट की कोशिश हुई वहां है बैंकों का चेस्ट ब्रांच
एसीपी (क्राइम) प्रफुल्ल कुमार ने आगे बताया कि, ‘जहां लूट की कोशिश हुई वह ब्रांच बैंकों की सेंट्रलाइज्ड चेस्ट ब्रांच है. जहां पैसों को एकत्र कर विभिन्न ब्रांचों में भेजा जाता है. बदमाश योजनाबद्ध तरीके से वारदात को अंजाम देने आए थे, लेकिन नाकाम रहे.