जगदीश चन्द्र बोस. वायरलेस यन्त्र के जनक. भारत के प्रसिद्ध भौतिकविद् और जीवविज्ञानी विज्ञान को जब बीसवीं शताब्दी में ये पता नहीं था कि पेड़-पौधों का जीवन चक्र भी होता है. तब मई 1901 में जगदीश चन्द्र बोस ने साबित किया कि प्लांट्स का भी सजीवों की तरह लाइफ-साइकिल और प्राण होते है.
जन्म और शिक्षा
जगदीश चंद्र बोस का जन्म 30 नवम्बर 1858 को बंगाल (अब बांग्लादेश) में ढाका जिले के फरीदपुर के मेमनसिंह में हुआ था. इनके पिता भगवान चन्द्र बोस डिप्टी मजिस्ट्रेट थे. जगदीश चंद्र बोस ने ग्यारह वर्ष की आयु तक गांव के ही एक हिंदी माध्यम स्कूल में पढ़ें. उसके बाद ये कलकत्ता आ गये और सेंट जेवियर स्कूल में दाखिला लिया. जगदीश चंद्र बोस की जीव विज्ञान में बहुत रुचि थी फिर भी भौतिकी के एक विख्यात प्रो. फादर लाफोण्ट ने बोस को भौतिक शास्त्र के अध्ययन के लिए प्रेरित किया. भौतिक शास्त्र में बी. ए. की डिग्री प्राप्त करने के बाद 22 वर्षीय बोस चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा के लिए लंदन चले गए. मगर स्वास्थ्य के खराब रहने की वजह से इन्होंने चिकित्सक (डॉक्टर) बनने का विचार छोड़ दिया और कैम्ब्रिज के क्राइस्ट महाविद्यालय से बी. ए. की डिग्री ले ली.
खोज
जगदीश चंद्र बोस ने सूक्ष्म तरंगों (माइक्रोवेव) के क्षेत्र में वैज्ञानिक कार्य तथा अपवर्तन, विवर्तन और ध्रुवीकरण के विषय में अपने प्रयोग आरंभ कर दिये थे. लघु तरंगदैर्ध्य, रेडियो तरंगों तथा श्वेत एवं पराबैंगनी प्रकाश दोनों के रिसीवर में गेलेना क्रिस्टल का प्रयोग बोस के द्वारा ही विकसित किया गया था. मारकोनी के प्रदर्शन से 2 वर्ष पहले ही 1885 में बोस ने रेडियो तरंगों द्वारा बेतार संचार का प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में जगदीश चंद्र बोस ने दूर से एक घण्टी बजाई और बारूद में विस्फोट कराया था. इन्होंने एक यन्त्र क्रेस्कोग्राफ़ का आविष्कार किया. और इससे विभिन्न उत्तेजकों के प्रति पौधों की प्रतिक्रिया का अध्ययन किया.
आजकल प्रचलित बहुत सारे माइक्रोवेव उपकरण जैसे वेव गाईड, ध्रुवक, परावैद्युत लैंस, विद्युतचुम्बकीय विकिरण के लिये अर्धचालक संसूचक, इन सभी उपकरणों का उन्नींसवी सदी के अंतिम दशक में बोस ने अविष्कार किया और उपयोग किया था.
चांद पर मौजूद एक ज्वालामुखी का नाम बोस रखा गया. यह ज्वालामुखी भाभा और एडलर के पास स्थित है. उनके योगदान को महत्व देते हुए ऐसा किया गया.
अध्यापन कार्य
जगदीश चंद्र बोस वर्ष 1885 में देश लौट कर आने के बाद और भौतिक विषय के टीचर के रूप में प्रेसिडेंसी कॉलेज में अध्यापन करने लगे. लार्ड रिपन ने इनको अपोइंट किया था. यहां वह 1915 तक कार्यरत रहे. बोस एक बहुत अच्छे शिक्षक भी थे. इनके दो प्रमुख शिशु मेघनाद शाहा और सत्येन्द्रनाथ बोस थे. वह कक्षा में पढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक प्रदर्शनों का प्रयोग करते थे. बोस के ही कुछ छात्र सत्येंद्रनाथ बोस आगे चलकर प्रसिद्ध भौतिक शास्त्री बने. प्रेसिडेंसी कॉलेज से सेवानिवृत्त होने पर 1917 ई. में इन्होंने बोस रिसर्च इंस्टिट्यूट, कलकत्ता की स्थापना की और 1937 तक इसके निदेशक रहे.
रचनाएं
इनके द्वारा बंगला में रचित ‘पल्कोतन तोफान’ में साइक्लोन के बारे में है. इनकी अन्य रचना ‘निरुद्देशर काहिनी’ है.