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जब नवाब पटौदी की कप्तानी में विदेशी धरती पर जीता भारत

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टीम इंडिया के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी  का आज जन्मदिन है. जिस कप्तान ने भारतीय क्रिकेट टीम को विदेशी धरती पर जीतना सिखाया और जिन्हें उनकी बेखौफ बैटिंग और फील्डिंग के कारण ‘टाइगर’ का निकनेम मिला ,उनका जन्म आज के ही दिन 1941 को भोपाल में हुआ थ. मंसूर अली खान “पटौदी” रियासत के नवाब थे.उन्हें भारत के महानतम कप्तानों में शुमार किया जाता है.उनकी कप्तानी में ही भारत ने 1967 में न्यूजीलैंड को उसकी ही धरती पर मात देते हुए विदेशी धरती पर अपनी सबसे पहली जीत दर्ज की थी.
क्रिकेट करियर

  • मंसूर अली खान ने अपने क्रिकेट करियर में भारत के लिए 46 मैच खेलते हुए 2793 रन बनाए.
  • अपने करियर में उन्होंने 6 सेंचुरी और 16 हाफ सेंचुरी लगाई.
  • उनका उच्चतम स्कोर 203* था.
  • उन्होंने भारत के लिए 40 टेस्ट मैचों ने कप्तानी की जिसमे उन्होंने 2424 रन भी बनाये.
  • उन्होंने कप्तान रहते हुए डबल सेंचुरी लगाई थी.

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पर्सनल लाइफ
मंसूर अली खान के पिता इफ्तिखार अली खान भी एक जाने-माने क्रिकेटर थे. उनकी शिक्षा अलीगढ़ के मिंटो सर्कल में हुई. उनकी आगे की शिक्षा देहरादून (उत्तराखंड) के वेल्हैम बॉयज स्कूल में हुई. उन्होंने हर्टफोर्डशर के लॉकर्स पार्क प्रेप स्कूल और विंचेस्टर स्कूल में भी पढ़ाई की. मंसूर अली खान ने अरेबिक और फ्रेंच ऑक्सफोर्ड के बैलिओल कॉलेज में पढ़ी.
16  साल की उम्र में उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ससेक्स के लिए डेब्यू किया. मंसूर अली खान सीधे हाथ के बल्लेबाज और सीधे हाथ के गेंदबाज थे. विंचेस्टर में उन्होंने अपने बल्लेबाजी के जौहर दिखाना शुरू कर दिए थे. वह स्कूल की क्रिकेट टीम के कप्तान थे. उन्होंने पब्लिक्स स्कूल रैकेट्स चैंपियनशिप भी जीती.ऑक्सफोर्ड के लिए खेलने वाले मंसूर अली खान पटौदी पहले भारतीय क्रिकेटर थे.
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एक जुलाई 1961 को होव में एक कार एक्सीडेंट में एक कांच का टुकड़ा उनकी आंख में लग गया और उनकी दायीं आंख हमेशा के लिए खराब हो गई. इस एक्सीडेंट के बाद उनके क्रिकेट करियर पर हमेशा के लिए खत्म होने का खतरा मंडरा रहा था, क्योंकि उन्हें दो इमेज दिखाई देने लगी थीं. लेकिन पटौदी जल्दी ही मैदान पर लौटे और एक आंख के साथ ही बेहतरीन खेलने लगे.
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1962 में पटौदी को वेस्टइंडीज दौरे के लिए उपकप्तान बनाया गया. मार्च 1962 में पटौदी भारतीय टीम के कप्तान बने. वह 21 साल और 77 दिन की उम्र में कप्तान बनाए गए.  उन्होंने भारतीय क्रिकेट में स्पिन गेंदबाजी के महत्व को उभारा और एक साथ चार-चार स्पिनरों को मैदान में उतारकर क्रिकेट में एक अलग परंपरा को शुरू किया.
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वह 1993 से 1996 तक आईसीसी मैच रैफरी भी रहे थे, जिसमें उन्होंने दो टेस्ट और 10 वनडे में यह भूमिका निभाई थी.वर्ष 2008 में पटौदी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की संचालन परिषद में भी नियुक्त किए गए थे और दो साल तक इस पद पर बने रहने के बाद उन्होंने बीसीसीआई से इस पद की पेशकश को ठुकरा दिया था.
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पटौदी की शादी  1969 में अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से हुई थी. उनके तीन बच्चों में से सैफ अली खान और सोहा अली खान बॉलीवुड के चर्चित कलाकार हैं. तीसरी सबा अली खान ज्वेलरी डिजाइनर हैं.टाइगर खुद एक शानदार हैंडसम शख्सियत थे, जिन्हें बॉलीवुड भी बहुत चाहता था. इस शादी को क्रिकेट और बॉलीवुड की सबसे चर्चित शादियों में गिना जाता है.नवाब पटौदी का  रिश्ता पाकिस्तान से भी रहा है.उनके चचेरे भाई शहरयार खान पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं.वहीं उनके चाचा नवाबजादा शेर अली खान पटौदी पाकिस्तान सेना में आर्मी जनरल थे.
वह 1952 से 1971 तक वे पटौदी के नवाब रहे. खान का स्टेट भारत सरकार में 1947 में ही मिल चुका था, परंतु उनका ‘नवाब’ टाइटल 1971 में खत्म किया गया, जब भारतीय संविधान में संशोधन किया गया. सितंबर 2011 में टाइगर पटौदी की मौत के बाद उन्होंने उनकी बाईं आंख दिल्ली स्थित एक आई हॉस्पिटल को दान कर दी थी।

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